डीएनडी फ्लाईवे यातायात के लिये अभी टोल मुक्त ही रहेगा क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने इस संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि इस फ्लाईवे का निर्माण करने वाली कंपनी नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लि को यह दावा नहीं करना चाहिए कि उसने चांद के लिये सड़क का निर्माण किया है।प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एन नागेश्वर राव की खंडपीठ ने कहा कि वह टोल संग्रह की गणना का मामला नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को भेजने के बारे में फैसला करेगी।
कंपनी टोल संग्रह से संबंधित मुद्दे का विरोध कर रही है। टोल वसूलने वाली कंपनी की ओर से जब वरिष्ठ अधिवक्ता डा अभिषेक मनु सिंघवी ने उच्च न्यायालय के फैसले की बार-बार आलोचना की और इस पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया तो पीठ ने कहा कि आपके पास दस किलोमीटर का राजमार्ग है और आप दावा करते हैं कि आपने चांद के लिये सड़क का निर्माण किया है। आपने अच्छा काम किया है लेकिन कोई महान काम नहीं किया है।
सिंघवी ने कहा कि नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लि शेयरधारकों की लिमिटेड कंपनी है और यह यहां ही नहीं बल्कि लंदन सहित विदेशों में भी स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है और उसे एक या दो महीने और टोल वसूलने की अनुमति देने से किसी को नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि चूंकि पिछले 15 साल से यह कंपनी टोल वसूल रहीं थी, इसलिए सुविधा का संतुलन उसके पक्ष में है।
यदि कल यह फैसला होता है कि उसे टोल वसूलने का अधिकार है तो फिर वह पिछले दिनों में यहां से गुजरे वाहनों का पीछा करने तो नहीं जा सकती है।इस पर पीठ ने सवाल किया कि यदि हम दूसरा निर्णय देते हैं तो क्या आप वाहन मालिकों को धन लौटाने के लिये उनके पीछे जायेंगे। इससे आपको अधिक नुकसान नहीं होने जा रहा है।