राजस्थान सरकार ने प्रदेश में बाल विवाह रोकने के लिए प्रभावी प्रयास करने के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए है.राज्य सरकार ने प्रदेश में बाल विवाहों की रोकथाम के लिए समस्त जिला कलेक्टर एवं जिला पुलिस अधीक्षकों को प्रभावी उपाय करने के साथ ही समाज में जागरूकता लाने के लिये स्वयं सेवी संस्थाओं को जोडने के निर्देश दिये हैं.गृह विभाग की ओर से आज जारी किये गये निर्देशों में कहा गया है कि ऐसी किसी भी सूचना पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के तहत कानूनी कार्यवाही की जाये.
गृह विभाग द्वारा इस सम्बन्ध में जारी पत्र में कहा गया है कि अक्षय तृतीया (आखातीज) 9 मई एवं पीपल पूर्णिमा 21 मई पर होने वाले बाल विवाहों को रोकने के लिए समाज की मानसिकता एवं सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाना आवश्यक है.इन अवसरों पर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रो में बाल विवाहों के आयोजन की प्रबल संभावना रहती है. इसके मद्देनजर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग , चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग के ग्राम स्तरीय कार्यकर्ताओं को सक्रिय रहने के लिए निर्देश दिये गये है.
निर्देशों में बाल विवाह की रोकथाम के लिये सार्वजनिक स्थानों पर सूचना बॉक्स रखने एवं इसके लिए नियांण कक्ष स्थापित करने, विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी हलवाई, पंडित, पाण्डाल एवं टेन्ट लगाने वाले लोगों को सहयोग न करने के लिए एवं उन्हें कानून की जानकारी देने के लिए भी कहा गया है.प्रिंट्रिग प्रेस वालों को भी कहा गया है कि वे विवाह हेतु छपने वाले निमांण पत्र में वर-वधू की जन्म तारीख प्रिंट करने पर बल देने के साथ ही वर-वधू के आयु के प्रमाण-पत्र अपने पास रखें.