मुम्बई में एक फ्रांसीसी कंपनी के सहयोग से निर्मित होने वाली छह अत्यंत उन्नत पनडुब्बियों की क्षमताओं से जुड़ी 22000 से अधिक पृष्ठों की अत्यंत गुप्त सूचना लीक हो गई है। इसके बाद सुरक्षा प्रतिष्ठानों को लेकर सरकार चौकन्ना हो गयी है।मझगांव डॉक में 3.5 अरब डालर की लागत से फ्रांसीसी पोत निर्माता डीसीएनएस द्वारा निर्मित होने वाली स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की लड़ाकू क्षमता तब सार्वजनिक हो गई जब एक ऑस्ट्रेलियाई समाचार पत्र द ऑस्टेलियन ने जानकारी वेबसाइट पर डाल दी।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने घटनाक्रम पर तत्परता दिखाते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा को पूरे मामले की छानबीन करने का आदेश दिया। पर्रिकर को लीक के बारे में जानकारी मध्यरात्रि में हुई। डीसीएनएस से भी एक रिपोर्ट मांगी गई है।पर्रिकर ने राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे लगता है कि हैकिंग हुई है। इसलिए हम इसका पता लगाएंगे। सोसाइटी आफ पॉलिसी स्टडीज के निदेशक कमोडोर (सेवानिवृत्त) उदय भास्कर ने कहा, हमें पहले दस्तावेजों की सत्यता स्थापित करनी होगी और यह देखना होगा कि क्या वह भारत की स्कॉर्पीन पनडुब्बियों से जुड़ी हैं क्योंकि डीसीएनएस अन्य देशों को भी पनडुब्बियों की आपूर्ति करती है।
यदि ऐसा पाया जाता है तो यह निश्चित तौर पर भारतीय पनडुब्बी के साथ समझौता होगा। ऐसा इसलिए कि इतनी अधिक तकनीकी जानकारी का लीक होना पनडुब्बी के पता नहीं चल पाने की क्षमता से समझौता होगा।एक समय नौसेना अभियानों का नेतृत्व कर चुके ‘सबमेरिनर’ रियर एडमिरल (सेवानिवृत्त) राजा मेनन ने कहा कि इस बारे में अधिक जानकारी सामने नहीं आयी है कि यह किस तरह का लीक है। लेकिन जानकारी का लीक होना एक गंभीर मुद्दा है।
समाचार पत्र ‘द ऑस्ट्रेलियन’ ने कहा कि लीक हुई जानकारी में यह शामिल है कि पनडुब्बियां किस फ्रीक्वेंसी पर सूचना एकत्रित करती है, विभिन्न गति पर वह किस स्तर की ध्वनि करती है तथा उसकी गोता लगाने की गहरायी, सीमा और ठहराव क्या है। ये सभी संवेदनशील सूचनाएं हैं जो कि अत्यंत गुप्त होती हैं।उसने कहा कि डीसीएनएस दस्तावेज पर ‘रिस्ट्रिक्टेड स्कॉर्पीन इंडिया’ दर्ज है और इसमें भारत की पनडुब्बी बेड़े की लड़ाकू क्षमताओं के बारे में अत्यंत संवेदनशील जानकारी है।
भारत के सामरिक प्रतिद्वंद्वियों जैसे पाकिस्तान या चीन द्वारा इसे हासिल कर लेने पर यह उनकी खुफिया विभाग के लिए लाभकारी स्थिति होगी।इस बीच डीसीएनएस ने भारत के स्कॉर्पीन दस्तावेज लीक मामले पर कहा कि यह एक गंभीर मामला है जिसकी फ्रांस के राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा अधिकारी गहन जांच कर रहे हैं। जांच से लीक दस्तावेज की वास्तविक प्रकृति, डीसीएनएस के उपभोक्ताओं को होने वाले संभावित नुकसान और इस लीक की जिम्मेदारियों के बारे में पता चलेगा।
समाचार पत्र द ऑस्ट्रेलियन ने कहा कि डेटा से पता चलता है कि पनडुब्बी में कहां रहकर चालक दल के सदस्य सुरक्षित रूप से बात कर सकते हैं जिससे कि दुश्मन को पता नहीं चल पाये। साथ ही यह पनडब्बी के मैग्नेटिक, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और इंफ्रा-रेड डेटा के खुलासे के साथ ही टार्पीडो लांच प्रणाली और युद्धक प्रणाली की विस्तारपूर्वक व्याख्या करता है।डेटा में पेरिस्कोप के इस्तेमाल के लिए जरूरी गति और स्थितियों का भी विवरण है। इसके अलावा पनडुब्बी के पानी के सतह पर आने के बाद प्रोपेलर से होने वाली ध्वनि और तरंगों के स्तर का उल्लेख है।
समाचार पत्र द्वारा हासिल किए गए आंकड़ों में पनडुब्बी के पानी के अंदर वाले सेंसर के बारे में जानकारी देने वाले 4457 पृष्ठ, पानी के ऊपर लगे सेंसर से संबंधित 4209 पृष्ठ, युद्धक प्रबंधन प्रणाली पर 4301 पृष्ठ, तारपीडो दागने की प्रणाली पर 493 पृष्ठ, पनडुब्बी की संचार प्रणाली पर 6841 पृष्ठ और इसके नेवीगेशन प्रणाली से जुड़े 2138 पृष्ठ हैं।पर्रिकर ने कहा, मैंने नौसेना प्रमुख से कहा है कि वह पूरे मामले का अध्ययन करें और पता लगाएं कि क्या लीक हुआ है? उसमें हमारे बारे में क्या जानकारी है और किस सीमा तक है? मुझे इसके बारे में जानकारी मंगलवार रात लगभग 12.00 बजे हुई।
मुझे लगता है कि यह हैकिंग है। हम इस सबका पता लगा लेंगे।’ रक्षा मंत्री ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि 100 फीसदी लीक हुआ है क्योंकि अंतिम समेकन का काफी हिस्सा भारत के पास है। उन्होंने कहा कि तस्वीर आने वाले कुछ दिनों में स्पष्ट होगी।नौसेना ने एक बयान में कहा, ‘स्कॉर्पीन पनडुब्बियों से जुड़े दस्तावेजों की संदिग्ध लीक की जानकारी विदेशी मीडिया हाउस द्वारा दी गई है। उपलब्ध सूचना की रक्षा मंत्रालय के एकीकृत मुख्यालय (नौसेना) में छानबीन की जा रही है तथा इसका संबंधित विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषण किया जा रहा है।
उसने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि लीक का स्रोत भारत में नहीं बल्कि विदेश में है।’ पर्रिकर लीक मामले पर चर्चा करने के लिए नौसेना के शीर्ष अधिकारियों से मिले।पूर्व रक्षा मंत्री एवं कांग्रेस नेता ए.के. एंटनी ने कहा कि लीक देश के लिए ‘बहुत-बहुत गंभीर चिंता’ का विषय है। उन्होंने कहा, ‘यह देश की सुरक्षा को प्रभावित करता है। सरकार को तत्काल एक उच्च स्तरीय जांच का आदेश देना चाहिए, सच्चाई का पता लगाना चाहिए और उसके बाद हम आगे के कदम पर विचार कर सकते हैं। समय व्यर्थ नहीं करिये तत्काल सच्चाई का पता लगाइये।
डीसीएनएस के हवाले से कहा गया कि उसे ऑस्ट्रेलियन समाचार पत्र में प्रकाशित खबर की जानकारी है और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों’ ने मामले में जांच शुरू कर दी है। उसने इस बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी।ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैलकॉम टर्नबुल ने लीक के प्रभाव को कमतर करने का प्रयास करते हुए कैनबरा में कहा कि यह एक चिंता का विषय है।
उन्होंने चैनल सेवन से कहा, जो पनडुब्बी हम निर्मित कर रहे हैं या जो फ्रांस के साथ निर्मित करेंगे उसे बारकुडा कहते हैं, जो कि स्कॉर्पीन से काफी अलग पनडुब्बी है और जो वे भारत के लिए बना रहे हैं। समाचार पत्र के अनुसार समझा जाता है कि डेटा फ्रांस से 2011 में एक पूर्व फ्रांसीसी नौसेना अधिकारी द्वारा निकाले गये थे जो उस समय डीसीएनएस के लिए एक सब-कान्ट्रैक्टर था।