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तेलुगू देशम पार्टी फ़िलहाल बीजेपी के साथ ही रहेगी

तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने एनडीए के साथ रहने का फैसला किया है। हालांंकि, पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने पार्टी सांसदों से एनडीए सरकार पर दबाव डालने को कहा है। बता दें कि आम बजट में आंध्र प्रदेश के लिए कोई बड़ा एलान नहीं किए जाने से टीडीपी के सांसदों ने नाराजगी जताई थी। यहां तक कहा था कि वह एनडीए से अलग होने पर विचार भी कर सकते हैं।

इसके बाद मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कैबिनेट मंत्रियों के साथ इमरजेंसी मीटिंग की।तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने अमरावती में संसदीय दल की बैठक की। इसमें सीएम और पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, पार्टी के सांसद और नेता शामिल हुए। इसमें बजट में आंध्र प्रदेश की अनदेखी और केंद्र के सामने इस मुद्दे को उठाने पर चर्चा हुई।

पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री वाई एस चौधरी ने बताया बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के साथ गठबंधन नहीं तोड़ेंगे। उन्होंने कहा- मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने न तो शिवसेना से बात की है और न ही अमित शाह से कोई बात हुई है।सूत्रों के मुताबिक नायडू ने पार्टी सांसदों से एनडीए सरकार पर दबाव डालने को कहा है।

दरअसल एक जनवरी को आम बजट में आंध्रपदेश के लिए कोई स्पेशल पैकेज का एलान नहीं किया गया। इसके बाद से टीडीपी के कुछ सांसद नाराज दिखे। एक सांसद टीजी वेंकटेश ने कहा था- हम लड़ाई (वॉर) की शुरुआत करने जा रहे हैं। ऐसे में तीन ही ऑप्शन बचते हैं। पहला- अलायंस में बने रहें। दूसरा- हमारे सभी सांसद इस्तीफा दें और तीसरा- गठबंधन (एनडीए से) तोड़ दें।

वहीं, एक और सांसद राममोहन नायडू ने कहा था कि आंध्र प्रदेश को दरकिनार करने के चलते वह अपना इस्तीफा तक देने को तैयार हैं।राज्य के कैबिनेट मंत्री एस. चंद्रमोहन रेड्डी ने मीटिंग के बाद कहा था कि बजट को लेकर अपना असंतोष केंद्र सरकार को बताएंगे। पार्टी नेताओं ने नायडू से कहा है कि वे इस पर आगे कोई फैसला लें।

तेलंगाना से अलग होने के बाद पिछले 4 चार में राज्य को कई मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा है। तभी से हमें केंद्र सरकार की मदद का इंतजार था, लेकिन निराशा ही हाथ लगी।इससे पहले 23 जनवरी को एनडीए और बीजेपी की पुरानी सहयोगी शिवसेना ने 2019 का आम चुनाव अलग लड़ने का एलान किया था।

पार्टी नेता और सांसद संजय राउत ने कहा था कि 2019 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में शिवसेना NDA के साथ नहीं बल्कि अकेले चुनाव लड़ेगी।बता दें कि बीते कुछ महीनों से बीजेपी और शिवसेना के बीच तनाव की खबरें आ रही थीं। नोटबंदी पर भी शिवसेना ने मोदी सरकार का विरोध किया था।

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