तेलंगाना के पूर्व गृह मंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति के वरिष्ठ नेता नयनी नरसिम्हा रेड्डी का गुरुवार तड़के एक बीमारी के कारण निधन हो गया। वह 76 वर्ष के थे।उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि नरसिम्हा रेड्डी ने अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह अस्पताल में फेफड़ों के संक्रमण का इलाज करा रहे थे।
कोविड-19 से उबरने के बाद उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने कहा कि उनके फेफड़े खराब हो गए थे।उनका जन्म 12 मई, 1944 को नलगोंडा जिले में हुआ था। उन्होंने 1970 के तेलंगाना आंदोलन में भाग लिया था।
साल 2001 में टीआरएस को के. चंद्रशेखर राव द्वारा पुनर्जीवित करने के बाद उन्होंने आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी।उन्होंने अपना राजनीतिक करियर ट्रेड यूनियन लीडर के रूप में शुरू किया था। अविभाजित आंध्र प्रदेश में जनता पार्टी के एक नेता के तौर पर वह हैदराबाद में मुशीराबाद निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए तीन बार चुने गए।
नरसिम्हा रेड्डी पहली बार 1978 में विधानसभा के लिए चुने गए थे। उन्हें 1985 में फिर से चुना गया था। साल 2001 में टीआरएस में शामिल होने के बाद उन्हें 2004 में फिर से विधानसभा के लिए चुना गया और उन्होंने वाई. एस. राजशेखर रेड्डी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में साल 2004 से 2006 तक तकनीकी शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया।
साल 2014 में तेलंगाना राज्य के गठन के बाद चंद्रशेखर राव ने उन्हें गृह मंत्री के रूप में अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया। बाद में उन्हें विधान परिषद के लिए चुना गया।हालांकि, 2018 में टीआरएस के सत्ता में बने रहने के बाद नरसिम्हा रेड्डी को कैबिनेट में स्थान नहीं मिला था, तब से वे सक्रिय राजनीति से दूर थे।मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने नरसिम्हा रेड्डी की मौत पर शोक व्यक्त किया है।
उन्होंने तेलंगाना आंदोलन के दौरान और राज्य सरकार में नरसिम्हा रेड्डी के साथ अपने कार्यों व सहयोग को याद किया।मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे आधिकारिक सम्मान के साथ दिवंगत नेता के अंतिम संस्कार की व्यवस्था करें।नरसिम्हा रेड्डी के पार्थिव शरीर को उनके निवास स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया, जहां कई मंत्रियों और टीआरएस नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।