सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से मृत्यु के मामलों में मृतकों के परिजनों को मुआवजा नहीं दिए जाने को लेकर राज्य सरकारों पर अप्रसन्नता जताई और आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जाए।
शीर्ष अदालत ने आंध्र प्रदेश और बिहार सरकार के मुख्य सचिवों को बुधवार अपराह्न दो बजे ऑनलाइन पेश होने और यह स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया कि कोरोना से मृत्यु के मामलों में परिजनों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि का वितरण उनके राज्यों में कम क्यों हुआ है।
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, वह अपराह्न दो बजे आदेश सुनाएगी। पीठ ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों से कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों से संपर्क करने तथा मुआवजा दावों का पंजीकरण और वितरण उसी तरह करने के लिए कहा, जैसा 2001 में गुजरात में आए भूकंप के दौरान किया गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा, वह कोरोना से मृत्यु के बिहार द्वारा दिए गए आंकड़ों को खारिज करती है और ये आंकड़े वास्तविक नहीं बल्कि सरकारी हैं। पीठ ने बिहार सरकार की तरफ से पेश हुए वकील से कहा, हमें भरोसा नहीं हो रहा कि बिहार राज्य में कोरोना के कारण केवल 12,000 लोगों की मृत्यु हुई।
हम चाहते हैं कि आपके मुख्य सचिव दो बजे डिजिटल तरीके से यहां पेश हों।शीर्ष अदालत वकील गौरव कुमार बंसल और अन्य लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें कोरोना से मारे गए लोगों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने का अनुरोध किया गया है।
शीर्ष अदालत ने कोरोना से मृत्यु के मामलों में अनुग्रह राशि के वितरण के लिए बनाये गये पोर्टल के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं होने पर भी पिछले साल 13 दिसम्बर को अप्रसन्नता व्यक्त की थी।