सुप्रीम कोर्ट आज देशद्रोह के आरोप में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की जमानत अर्जी पर सुनवाई करेगा। कन्हैया ने अपनी जमानत के लिए सीधा उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाई है। कन्हैया की गिरफ्तारी के खिलाफ गुरुवार को दिल्ली और देश के कई अन्य शहरों में हजारों छात्रों, शिक्षकों, नागरिक समाज के सदस्यों और पत्रकारों ने प्रदर्शन किए।
पटियाला हाउस अदालत परिसर में हुई हिंसा के मामले में दखल देने वाले उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को सभी को चेतावनी दी कि वह हालात पर नजर रख रहा है और लोगों को इस मुद्दे पर बयानबाजी करते वक्त सावधान रहना चाहिए। कन्हैया ने न्यायालय से कहा कि तिहाड़ जेल में उनकी जान को खतरा है। उन्होंने शीर्ष न्यायालय से जमानत की गुहार लगाते हुए अर्जी भी दाखिल की।
वरिष्ठ वकील सोली सोराबजी और राजू रामचंद्रन ने न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति ए एम सप्रे की पीठ के समक्ष कन्हैया की जमानत अर्जी का जिक्र किया और इस पर गुरुवार को ही सुनवाई करने का अनुरोध किया।
बहरहाल, जब पीठ ने कहा कि वह कल इस पर सुनवाई करेगी तो दोनों वरिष्ठ वकील सहमत हो गए। पटियाला हाउस अदालत में कल हुई हिंसा की जांच के लिए भेजी गई वरिष्ठ वकीलों की छह सदस्यीय समिति ने आज उच्चतम न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी। समिति में शामिल जानेमाने वकील राजीव धवन ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस और हमलावरों के बीच ‘मिलीभगत’ थी।
न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति ए एम सप्रे की पीठ को एक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दी गई। लेकिन दिल्ली पुलिस के वकील अजित के सिन्हा, जो खुद भी समिति में शामिल थे, ने बगैर पढ़े इस पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया।