अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के मामले में कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्यपाल को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब मांगा है.सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई अब एक फरवरी को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान नाराजगी जताई कि राज्यपाल की तरफ से कोर्ट को सारी जानकारी क्यों नहीं दी जा रही है. किन हालातों में इमरजेंसी लगाई गई.
राज्यपाल के वकील के एक दिन का समय मांगने पर कोर्ट ने कहा कि इसके लिए आपको ईटानगर जाने की जरूरत नहीं, ई-मेल से मंगाइये. इसके बाद फाइल कोर्ट में लाई गई.केंद्र की सिफारिश पर अरुणाचल प्रदेश में मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लागू हो गया था. अरुणाचल से लेकर दिल्ली तक उठे राजनीतिक उफान के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दे दी.
सोमवार को कांग्रेस ने इसी मुद्दे पर राष्ट्रपति से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया था. कांग्रेस का आरोप था कि राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा केंद्र सरकार के इशारे पर राजनीतिक फैसले ले रहे हैं, जबकि बीजेपी की ओर से संवैधानिक संकट का सवाल उठाया गया था. राष्ट्रपति ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मशविरा किया था.
यह तय माना जा रहा था कि राज्यपाल की जिस तरह की रिपोर्ट आई है और खासतौर पर जिस तरह अंदरूनी राजनीति और खींचतान के कारण प्रदेश की कांग्रेस सरकार विधानसभा का सत्र तो दूर विधायक दल की बैठक भी नहीं बुला पा रही थी.
अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने को विपक्षी दलों ने लोकतंत्र और संघीय ढांचे की हत्या करार दिया है. कांग्रेस, जदयू और आप ने मंगलवार को इसको लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला था. इन दलों ने आरोप लगाया कि केंद्र की बीजेपी सरकार देश की शीर्ष अदालत को अपमानित करने पर तुली है, जो अभी इस मामले की सुनवाई कर रही है.
गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश में पिछले कई दिनों से राजनीतिक उठापटक चल रही है. कांग्रेस सरकार 42 में से 21 विधायक बागी हो गए हैं. 16-17 दिसंबर को सीएम नबाम टुकी के कुछ विधायकों ने बीजेपी के साथ नो कॉन्फिडेंस मोशन पेश किया और सरकार की हार हुई.
अरुणाचल विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं. 2014 में हुए चुनाव में कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं.बीजेपी के 11 और पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश को पांच सीटें मिलीं, पीपीए के 5 एमएलए कांग्रेस में शामिल हो गए थे.