सुप्रीम कोर्ट ने अकर्मण्यता को लेकर नौकरशाही की आलोचना करते हुए कहा कि उसने निष्क्रियता विकसित की है और कोई फैसला नहीं करना चाहती तथा वह हर चीज अदालत के भरोसे छोड़ना चाहती है। न्यायालय ने कहा, यह उदासीनता और सिर्फ उदासीनता है।प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, काफी समय से मैं यह महसूस कर रहा हूं कि नौकरशाही में एक तरह की निष्क्रियता विकसित हो गई है।
वह कोई निर्णय लेना नहीं चाहती। किसी कार को कैसे रोकें, किसी वाहन को कैसे जब्त करें, आग पर कैसे काबू पाएं, यह सब कार्य इस अदालत को करना है। हर काम हमें ही करना होगा। यह रवैया अधिकारी वर्ग ने विकसित किया है। शीर्ष अदालत ने वायु प्रदूषण से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान नौकरशाही के रवैये पर यह टिप्पणी की।
याचिका आदित्य दुबे और विधि के छात्र अमन बंका ने दायर की है। इस याचिका में छोटे और सीमांत किसानों को मुफ्त में पराली हटाने की मशीन मुहैया करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। पीठ ने कहा, वायु प्रदूषण पर केंद्र की बैठक मंगलवार को हुई।न्यायालय ने कहा, क्या वे बैठक में की गई चर्चा का सार तैयार नहीं कर सकें कि ये सब निर्देश हमने जारी किये हैं ताकि अदालत के बहुमूल्य समय को बचाया जा सके।
केंद्र ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण कम करने के लिए आवश्यक सामानों को लाने वाले वाहनों के अलावा सभी ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने, स्कूलों को बंद करने और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के कार्यालयों में 50 प्रतिशत उपस्थिति समेत कई उपायों का बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुझाव दिया।
केंद्र की दलीलों पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर राज्यों को वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए मंगलवार को हुई बैठक में लिए इन फैसलों का पालन करने का निर्देश दिया। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 24 नवम्बर की तारीख तय की।