सुप्रीम कोर्ट ने किया दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार

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केजरीवाल सरकार को एक बार फिर झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है.केजरीवाल नीत आप सरकार की ओर से दायर की गई छह अपीलों पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र का जवाब मांगा है. इस अपीलों में आप सरकार ने हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उप राज्यपाल को राष्ट्रीय राजधानी का प्रशासनिक प्रमुख बताया गया गया है.

न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना की पीठ ने हाईकोर्ट के चार अगस्त के फैसले के संचालन पर रोक लगाने से इनकार किया और कहा कि वह मामले को 15 नवंबर को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे.अपीलों पर जवाब देने के लिए पीठ ने केंद्र सरकार को छह हफ्ते का वक्त दिया है.

पीठ ने उस तर्क को भी अस्वीकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि उप राज्यपाल ने दिल्ली सरकार के पुराने फैसलों को देखने के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन का जो फैसला लिया है, उस पर रोक लगनी चाहिए.तर्कों को सुनने के बाद पीठ ने कहा कि वह इन याचिकाओं को बड़ी पीठ के पास भेजने पर विचार कर सकती है.

केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अनेक प्राथमिक आपत्तियां कीं और विभिन्न आधारों पर अपील रद्द करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि याचिका के पक्ष में हलफनामे पर सचिव नहीं बल्कि उप मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर हैं.रोहतगी ने कहा इस याचिका को तो केवल इसी आधार पर खारिज कर दिया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ पहले ही इस मामले पर गौर कर चुकी है दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश बताया है.दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने कहा कि मंत्री को हलफनामे पर दस्तखत अदालत के उस फैसले के कारण करने पड़े जिसमें कहा गया है कि सरकार के हर फैसले में उप राज्यपाल की पूर्व अनुमति होनी जरूरी है.

उन्होंने कहा कोई भी सरकारी कर्मचारी इन दस्तावेजों पर दस्तखत करने के लिए तैयार नहीं था.दिल्ली सरकार ने अपीलों की जल्द सुनवाई की मांग की थी जिसके बाद इन पर आज सुनवाई हुई.दिल्ली सरकार ने दो सितंबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए उसने छह भिन्न याचिकाएं दायर की हैं और राष्ट्रीय राजधानी को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर जो दीवानी मुकदमा दायर किया था उसे वापस ले लिया है.

कोर्ट ने आप सरकार को दीवानी मुकदमा वापस लेने की इजाजत दे दी थी. साथ ही इसमें शामिल मुद्दों को विशेष अनुमति याचिकाओं में उठाने की मंजूरी भी दे दी थी.सुप्रीम कोर्ट ने आप सरकार से पिछले महीने पूछा था कि दिल्ली को केंद्र शासित और उप राज्यपाल को उसका प्रशासनिक प्रमुख बताए जाने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ क्या वह अपील दायर करेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार को विशेष अनुमति याचिका दायर करनी होगी क्योंकि दीवानी मुकदमा निष्फल हो जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र ने आप सरकार की याचिका का यह कहते हुए जोरदार विरोध किया है कि वह एक ही मामले में राहत के लिए समानांतर उपाय नहीं कर सकती है.इससे पहले, हाईकोर्ट ने संविधान के तहत दिल्ली के केंद्र शासित दर्जे को कायम रखते हुए उप राज्यपाल को इसका प्रशासनिक प्रमुख बताया था.

हाईकोर्ट ने चार अगस्त को अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली से संबंधित विशेष संवैधानिक नियम के अनुच्छेद 239 एए के कारण केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित अनुच्छेद 239 का प्रभाव ‘कम’ नहीं होगा इसलिए प्रशासनिक मामलों में उप राज्यपाल की मंजूरी ‘अनिवार्य’ है.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में आप सरकार के उस तर्क को अस्वीकार कर दिया था जिसमें उसने कहा था कि विधानसभा द्वारा अनुच्छेद 239एए के तहत बनाए गए नियमों के मुताबिक उप राज्यपाल को मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद की सलाह और सहयोग पर काम करना होता है. लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को ‘आधारहीन’ माना.

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