सुप्रीम कोर्ट ने गाय के वध पर पूर्ण प्रतिबंध की सुनवाई से इंकार

सुप्रीम कोर्ट ने गोवंश के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने या उनके वध और तस्करी से संरक्षण के लिए समान नीति तैयार करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया.चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और जस्टिस एनवी रमण की बेंच ने कहा कि वह राज्यों को गोवध पर रोक के लिए कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकती.

दिल्ली निवासी विनीत सहाय की याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही समय-समय पर गोवंश पशुओं को गैर कानूनी तरीके से एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने से रोकने के उपाय करने के लिए कई आदेश दे चुका है.सुनवाई के दौरान सहाय के वकील ने कहा कि गोवंश के वध और एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने के बारे में विभिन्न राज्यों के कानूनों में तारतम्यता नहीं है.

केरल, पश्चिम बंगाल, उत्तर पूर्व के राज्य : अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम. मणिपुर में 1939 महाराजा ने, गोहत्या के लिए सजा का कानून बनाया, लेकिन यहां गोमांस व्यापक रूप से खाया जाता है.गाय-बछड़ों की हत्या पर प्रतिबंध. सांड़ों और बैलों का वध ‘वध के लिए फिट’ सर्टिफिकेट लेकर किया जा सकता है.

असम :- गोवध पर प्रतिबंध, निर्धारित स्थानों पर गोवध की मंजूरी जरूरी बिहार में प्रतिबंध, 15 साल से ऊपर के सांडों और बैलों का वध मंजूर. चंडीगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, मप्र, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राज्स्थान, तमिलनाडु, उप्र. कर्नाटक में बूढ़े और बीमार गोवंश का वध किया जा सकता है.

भाजपा 2010 में प्रतिवंध का कानून बनाना चाहती थी लेकिन वह पारित नहीं हुआ. पंजाब में गोमांस में आयातित गोमांस शामिल नहीं. सरकार की अनुमति से निर्यात के लिए गोवध संभव.

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