महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में गिरफ्तार किए गए पांचों सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई पर आज फैसला सुना सकता है सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला

महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में गिरफ्तार किए गए पांचों सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुना सकता है। पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को इन्हें गिरफ्तार किया था। इसके अलावा शीर्ष अदालत केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर भी आज निर्णय दे सकता है। 

भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ताओं में अरुण फरेरा, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवर राव  और वेरनन गोंजाल्विस शामिल हैं। इन पर देश में हिंसा भड़काने की साजिश रचने का आरोप है। याचिका में इन्हीं लोगों की रिहाई की मांग की गई है। फिलहाल ये घर में नजरबंद हैं।

 

पुणे पुलिस ने दावा किया था कि आरोपी से मिली चिट्ठी में लिखा नरेंद्र मोदी हिंदूवादी नेता हैं और देश के 15 राज्यों में उनकी सरकारें हैं। अगर वे इसी रफ्तार से आगे बढ़ते रहे तो बाकी पार्टियों के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी। ऐसे में मोदी के खात्मे के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।

इसलिए कुछ वरिष्ठ कामरेड ने कहा है कि राजीव गांधी हत्याकांड जैसी घटना को अंजाम देना होगा। ये मिशन नाकाम भी हो सकता है, लेकिन पार्टी में इस प्रस्ताव को रखा जाना चाहिए। मोदी को मारने के लिए रोड शो का वक्त सबसे सही समय होगा।

चिट्ठी में एम-4 राइफल और गोलियां खरीदने के लिए आठ करोड़ रुपए की जरूरत होने की बात भी कही गई।1818 में हुए युद्ध में ब्रिटिश सेना ने पेशवा शासकों को हरा दिया। ब्रिटिश सेना में बड़ी तादाद में दलित समुदाय के लोग थे।

पुणे के भीमा कोरेगांव इलाके में 1 जनवरी 2018 को इसकी 200वीं सालगिरह मनाने के लिए बड़ी संख्या में दलित समुदाय के लोग जुटे थे। ये कार्यक्रम जातीय हिंसा में बदल गया। एक युवक की मौत हो गई। आरोप है ये हिंसा सुनियोजित ढंग से कराई गई थी। 200 से ज्यादा जख्मी हुए थे।

केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल की बच्चियों से लेकर 50 साल की महिलाओं तक के प्रवेश पर पाबंदी है। 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं। याचिका में इसे चुनौती दी गई है। केरल सरकार मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 1 अगस्त को फैसला सुरक्षित रखा था। 

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