सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 2000 सीसी और उससे अधिक क्षमता वाले डीजल वाहनों के पंजीकरण की अनुमति दी, इसके लिये शोरूम कीमत के एक प्रतिशत के बराबर राशि हरित-उपकर के रूप में जमा करनी होगी।न्यायालय ने कहा कि एक प्रतिशत हरित उपकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समक्ष जमा करना होगा।बोर्ड इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र के किसी बैंक में एक अलग खाता खोलेगा।
न्यायालय केंद्र की इस आपत्ति पर सुनवाई के लिये तैयार है कि न्यायालय इस प्रकार का शुल्क नहीं लगा सकता। न्यायालय ने कहा कि वह 2000 सीसी से कम क्षमता वाले डीजल वाहनों पर हरित उपकर लगाने के बारे में बाद में निर्णय करेगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में 2000 सीसी से ज्यादा पावरफुल इंजन वाली डीजल गाड़ियों की बिक्री पर रोक लगाई हुई है।
गौरतलब है कि पिछले साल 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली और एनसीआर में 2000 से ऊपर वाली डीजल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर 31 मार्च तक रोक लगा दी थी।इस फैसले पर केंद्र सरकार ने कहा था कि कोर्ट को अपने फैसले पर पर कायम नहीं रहना चाहिए, क्योंकि इससे सरकार की मेक इन इंडिया पॉलिसी पर असर पड़ेगा।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि सरकार की मेक इन इंडिया के तहत तय पालिसी की कंपनियां भारत आएं और नियमों के मुताबिक निर्माण करें, अगर कंपनियां वाहनों को नियमों के मुताबिक बना रही हैं तो कोर्ट को ऐसे मामलों की सुनवाई नहीं करनी चाहिए।कोर्ट में रंजीत कुमार ने कहा था कि सिर्फ वाहनों से प्रदूषण नहीं होता है। दिल्ली में प्रदूषण के कई और कारण है. जिनमें कंस्ट्रक्शन वर्क, धूल और कूड़ा जलाना शामिल है।