छत्तीसगढ़ में हमले में 25 जवान शहीद हो गए और 7 जख्मी हैं। हमला दोरनापाल से जगरगुंडा वाली रोड पर किया गया। सीआरपीएफ जवानों पर तब हमला हुआ, जब वो लंच कर रहे थे। नक्सलियों ने 3 तरफ से हमला किया। इस हमले में नक्सली भी मारे गए,लेकिन उनकी बॉडी साथी घसीटकर ले गए।यहां बॉडी घसीटे जाने के निशान, ग्रैनेड, जवानों के कपड़े और पेड़ों पर गोलियों के निशान दिखाई दिए।
बता दें कि सोमवार को हुए नक्सली हमले में 25 जवान शहीद हो गए।जवानों ने नक्सलियों का डटकर मुकाबला किया। हमला होते ही जवानों ने फौरन पेड़ों और पत्थरों की आड़ ली। उधर, नक्सली भी पेड़ों, पत्थरों और झाड़ियों के पीछे छिपकर फायरिंग कर रहे थे। यही वजह है कि घटना वाली जगह पर करीब 200 से 300 मीटर के हर दूसरे पेड़ पर गोलियों के निशान हैं। 200 मीटर तक जगह-जगह खून के धब्बे मिले।
सोमवार सुबह 6 बुरकापाल कैंप से CRPF की चार्ली और डेल्टा पार्टी डेढ़ किलोमीटर दूर सड़क और ब्रिज के काम की सिक्युरिटी के लिए निकली। कंस्ट्रक्शन साइट गांव से 150 मीटर की दूरी पर है। दोरनापाल से जगरगुंडा की ओर जाने वाली सड़क पर जवान दो टुकड़ियों पर बंट गए और कंस्ट्रक्शन साइट से आगे सर्चिंग करते हुए 3 किलोमीटर तक निकल गए।
एक पार्टी बरसाती नाले के पास टेकरी पर चली गई। इस पार्टी में 36 जवान थे। रोड के दूसरी ओर दूसरी पार्टी चल रही थी। खाना खाते वक्त टेकरी पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला कर दिया। जवानों पर नक्सली यू शेप बनाकर हमला कर रहे थे। तीन तरफ से हमला किए जाने पर, जवानों ने पेड़ों और चट्टानों की ओट लेना शुरू कर दिया।
सड़क की ओर वाली पार्टी पर नक्सलियों ने गांव की तरफ से फायरिंग शुरू कर दी। इस गांव पर नक्सलियों ने पहले से ही कब्जा कर रखा था।सीआरपीएफ ऑफिशियल्स के मुताबिक, नक्सलियों ने ऑटोमैटिक वेपंस से हमलाकर जवानों को चौंका दिया। उनके पास एके-47 जैसी ऑटोमैटिक राइफल्स भी थीं। नक्सलियों ने हमले में अंडर बैरल ग्रैनेड लॉन्चर्स (UBGLs) का इस्तेमाल हमले के लिए किया।
संभव है कि 11 मार्च को हमले में लूट गए UBGLs का इस्तेमाल इस हमले में किया गया। इसके अलावा IED का भी इस्तेमाल किया गया। ऑफिशियल्स ने बताया कि नक्सलियों ने 22 स्मार्ट आर्म्स, 13 एके सीरीज राइफल्स उनकी 75 मैग्जीन, 5 इंसास राइफल्स और 31 मैग्जीन, 3000 से ज्यादा राउंड बुलेट्स, 22 बुलेटप्रूफ जैकेट, वायरलेस सेट्स और मेटल डिटेक्टर लूट लिए।
इसके अलावा नक्सलियों ने 100 से ज्यादा तीर बम से भी हमला किया और इसमें से एक दर्जन फटे ही नहीं। बताया जा रहा है कि इन तीर बम ने सबसे ज्यादा नुकसान किया।जब तीन ओर से पहली पार्टी नक्सलियों को जवाब दे रही थी, उसी वक्त दूसरी पार्टी ने कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले 40 लोगों की जान बचाई।ऑफिशियल्स का कहना है कि हमले से पहले गांववाले लगातार CRPF की पार्टियों के आस-पास से गुजर रहे थे।
हमले के दौरान भी इन गांव वालों का इस्तेमाल शील्ड की तरह किया गया, जिससे जवाबी कार्रवाई को अंजाम देने में अड़चन आई। हमले के दौरान घायल CRPF जवानों को चिंतागुफा कैंप पहुंचाया गया। दूसरे कैंपों से भी 300 जवान हमले की जगह की ओर रवाना हुए। उन्हें पहुंचने में 1 घंटे का वक्त लगा, इस दौरान नक्सलियों ने जवानों के सामान, हथियार, गोलियां लूट लीं।
इसके बाद नक्सली भाग निकले और जाते-जाते अपने साथियों की बॉडी भी ले गए।होम मिनिस्ट्री के सोर्सेस के मुताबिक, अटैक से पहले कई दिनों तक नक्सलियों ने रेकी की। स्पॉट से महज 2 किलोमीटर दूर इस हमले की प्लानिंग की गई। सभी इन्फॉर्मर्स को एक्टिवेट किया गया और जवानों के रूटीन को पता किया गया।अटैक के लिए हथियारों का जखीरा इकट्ठा किया गया।
हमले से पहले नक्सलियों ने स्पॉट के आसपास हथियार छिपा दिए। रात के वक्त सारा मूवमेंट हुआ और नक्सली 2-2 की तादाद में स्पॉट पर इकट्ठा हुए।कहा जा रहा है कि हमले की साजिश हिडमा उर्फ इदमुल उर्फ पोडियाम भीमा ने रची थी। वो सुकमा के जगरगुंडा का रहने वाला है। हिडमा साउथ बस्तर बटालियन की कमान SZC का मुखिया है। उसकी जिसकी जिम्मेदारी बड़े हमलों कि प्लानिंग और उसे अंजाम तक पहुंचाना है।
उसकी टीम में 13 कमांडर हैं, जिन्हें हर बड़े ऑपरेशन की जानकारी रहती है। 2012 के बाद छत्तीसगढ़ में हुए ज्यादातर बड़े नक्सली हमलों की साजिश इसी ने रची है। झीरम और ताड़मेटला में 107 लोगों की हत्या के पीछे भी हिड़मा का ही हाथ था। झीरमघाटी में 23 मई 2013 को नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला कर कांग्रेस के बड़े नेताओं समेत 31 लोगों की हत्या कर दी थी।
बताया जा रहा है कि हिडमा ने छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और ओडिशा से करीब 300 नक्सलियों को जमा किया था। हमले को पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी (PLGA) ने अंजाम दिया। साजिश 20 दिन पहले रची गई। तय किया गया कि हमला ऐसे वक्त हो जब जवान संभल न पाएं। हिडमा को पकड़ने के लिए 5 साल से ऑपरेशन चल रहा है। हिडमा का पूरा परिवार नक्सली है। उसने दो शादियां कीं। पहली पत्नी को शादी के कुछ साल बाद छोड़ दिया और फिर उसे छोड़कर महिला नक्सली राजे उर्फ राजक्का से शादी कर ली।