सहारा की ओर से वकील गौतम अवस्थी ने कहा है कि दत्तार का वक्तव्य तथ्यों पर आधारित नहीं है. जबकि हकीकत इससे विपरीत है. सहाराश्री को विदेश जाने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से मिली थी लेकिन उन्होंने इसका इस्तेमाल नहीं किया.श्री अवस्थी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सहाराश्री स्वदेश आ गए थे. नवम्बर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने सहाराश्री तथा अन्य निदेशकों को उसकी बिना अनुमति के विदेश जाने से रोका था.
लेकिन उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सहाराश्री को दो सप्ताह के लिए विदेश जाने की इजाजत दे दी थी लेकिन अदालत की अनुमति के बावजूद वह विदेश नहीं गए. इसलिए सेबी के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दत्तार का बयान पूरी तरह बेबुनियाद और गलत है.सहारा ने वर्ष 2012 में ही निवेशकों का 95 प्रतिशत पैसा लौटा दिया था. लेकिन किसी ने इस पर यकीन नहीं किया. सेबी ने चौथी मर्तबा देशभर में विज्ञापन निकालकर निवेशकों को रिफंड के लिए अंतिम मौका दिया है. यह विज्ञापन 144 अखबारों में दिया गया है जिमसें निवेशकों से कहा गया है कि अपना दावा पेश करने का यह अंतिम अवसर है.
पिछले 43 महीनों में सेबी को निवेशकों से सिर्फ 52 करोड़ 80 लाख रुपए के भुगतान का दावा मिला है जबकि सेबी के पास सहारा का ब्याज सहित लगभग 13 हजार 700 करोड़ रुपए पड़ा है. सेबी ने पब्लिक को अभी तक केवल 51 करोड़ 84 लाख रुपए रिफंड किए हैं. सेबी के पास सहारा की 40 हजार करोड़ से अधिक की अचल संपत्ति भी है. सेबी इस जमीन का मूल्य 20 हजार करोड़ आंक रहा है. अगर यह मान भी लिया जाए तो भी सिक्योरिटी 39 हजार करोड़ होती है जबकि पब्लिक को भुगतान सिर्फ 104 करोड़ का करना है.