डोकलाम मुद्दे का हल बातचीत से निकालना चाहिए : सुषमा स्वराज

कांग्रेस ने केंद्र सरकार की फॉरेन पॉलिसी पर जमकर हमला बोला और कहा कि भारत के पड़ोसियों के साथ रिश्ते अच्छे नहीं हैं। जवाब में डोकलाम पर सुषमा स्वराज ने कहा जंग किसी समस्या का हल नहीं है। डोकलाम पर चीन के साथ मिलकर मुद्दा सुलाझाने की कोशिश कर रहे हैं, हमारी बाइलेटरल रिश्तों पर भी चीन के साथ बातचीत चल रही है।

अक्लमंदी यही है कि विवाद का हल डिप्लोमैसी के जरिए निकाला जाए।उन्होंने भारत-पाक रिश्तों पर कहा- रोडमैप एकतरफा नहीं चल सकता। टेररिज्म और टॉक एकसाथ नहीं चल सकते। सुषमा बोलीं आपने चीन के ग्वादर, हंबनटोटा और कोलंबो में पोर्ट बनाने का मुद्दा उठाया। आप बताइए कि जब चीन ने ये पोर्ट बनाया तो किसकी सरकार थी?

सुषमा ने कहा 18 सांसदों ने चर्चा में भाग लिया। आनंद शर्मा जी का शुक्रिया। उन्हें टोन सेट किया। नेहरू ने देश का मान बढ़ाया, ये सच है। नेहरू ने व्यक्तिगत तौर पर सम्मान कमाया और मोदी ने देश को सम्मान दिलाया। अब सरकार का दृष्टिकोण सुनिए। सबने कहा कि हमारे पड़ोसियों से रिश्ते खराब हैं। पाकिस्तान, चीन और रूस मुद्दा उठा। इजराइल का भी जिक्र हुआ।

जहां तक पड़ोसी देशों का संबंध है। हम किसे मित्र कहते हैं? जो संकट में मदद करें। मालदीव का पानी संकट आया। मैंने तीन घंटे में रेल नीर भेजा। श्रीलंका में मदद की। नेपाल में भी किया। डोनर कॉन्फ्रेंस में भारत ने 1 बिलियन डॉलर दिए। 17 साल तक भारत का कोई पीएम नेपाल नहीं किया। 11 साल तक कांग्रेस की सरकार थी। राजीव जी की सरकार के वक्त क्या हुआ? जो पीएम ना जाए तब अच्छा और जो दो पीएम दो-दो बार जाए वो संबंध खराब।

चीन ने पाकिस्तान और श्रीलंका में पोर्ट कब बनाए? 2008 में तब किसकी सरकार थी? कोलंबो में 2011 में शुरू हुआ 2014 में पूरा हुआ? अगर आप इतने परेशान हैं तो देश के सामने 2008 का जिक्र क्यों नहीं। जो चिंताए आप बता रहे हैं तो उसके जन्मदाता आप हैं। आज हम पर आरोप ना लगाएं। हमने तो इसे सिक्योर किए। श्रीलंका ने चीन से कहा है कि कंट्रोल श्रीलंका का रहेगा।

पाकिस्तान का रोडमैप तो हमने शपथ ग्रहण के पहले ही साफ कर दिया था। शपथ के बाद बाइलेट्रल मीटिंग हुई थी। 9 दिसंबर 2015 को मैं इस्लामाबाद गई। नवाज ने सरताज अजीज से कहा कि अब पूरी द्विपक्षीय बातचीत करो। दोनों देशों के फॉरेन सेक्रेटरीज बैठे। पीएम का काबुल से लाहौर तक जाना सब पब्लिक डोमैन में है।

मोदी ने नवाज को जन्मदिन की बधाई दी थी। नवाज ने उन्हें बुलाया तो पीएम चले गए। पठानकोट के बाद भी दोस्ती बदरंग नहीं नहीं हुई। कहानी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद चीजें बिगड़ीं। नवाज ने उसे शहीद बता दिया। रोडमैप एक तरफा नहीं चल सकता। टेरर और टॉक साथ नहीं चल सकती।

रामगोपाल जी से कहना चाहूंगी कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। सेना तो युद्ध के लिए ही होती है। इसके बाद भी तो बात करनी पड़ती है। डिप्लोमैटिक चैनल्स खुले हैं। आज आर्थिक ताकत जरूरी है। मैं शरद जी की बात से सहमत हूं। पड़ोसियों को साथ रखना जरूरी है। मोदी कहते हैं कि सबका साथ, सबका विकास का मतलब पड़ोसियों के विकास से भी है। हमारी जो आर्थिक क्षमता है, वही हमें आगे लेकर जाएगी।”

एच1 बी वीजा का मुद्दा हुआ। 65 हजार एच 1 वीजा मिलते हैं, 20 हजार वहां के ग्रेजुएट अलग हैं। स्पाउस वीजा 2015 में शुरू हुआ। इसमें कोई कमी नहीं की गई है। आज अमेरिका भी भारत के साथ है और रूस भी भारत के साथ है। रामगोपाल जी ने कहा था कि रूस उस वक्त भारत के साथ और अमेरिका पाकिस्तान के साथ था।

रूस के डिफेंस मिनिस्टर ने कहा था कि हम भारत के साथ डिफेंस सेक्टर में पुराने सहयोगी हैं और आतंकवाद पर हम भारत के रुख के साथ हैं। क्या आपको अब भी लगता है कि रूस पाकिस्तान के साथ है।इजरायल हमारा दोस्त जरूर है लेकिन फिलिस्तीन का साथ हम नहीं छोड़ेंगे। पहली बार हमने फिलिस्तीन के साथ बात की। मैं पहले फिलिस्तीन और बाद में इजरायल गई।

फिलिस्तीन के पीएम यहां आए बाद में मोदी जी इजरायल गए। फिलिस्तीन में मेरी प्रेसिडेंट अब्बास और विदेश मंत्री से बात हुई। प्रेसिडेंट ने कहा कि भारत को इजरायल से हमारे विवाद को सुलझाना चाहिए। मोदी से भी फिलिस्तीन के पीएम ने यही कहा था। अरे वो दोनों हमारे साथ हैं।मोदी सरकार के आने के पहले ये चिंता थी कि हमारे वेस्ट एशिया से रिश्ते खत्म हो जाएंगे, क्योंकि वो मुस्लिम देश हैं।

आज हमारे सबसे अच्छे रिश्ते उन्हीं से हैं। आबुधाबी के प्रिंस पिछले गणतंत्र दिवस पर हमारे मेहमान थे। सऊदी नरेश से मोदी ने बात की। उन्होंने पीएम से कहा था कि वो दिन में 2 घंटे गोलाबारी बंद कर सकते हैं? ये बहुत मुश्किल था। इसके बाद मैंने यमन से बात की। 9 से 11 तक गोलीबारी बंद होती थी। इस दौरान यमन का हवाई अड्डा खुलता था। 48 देशों के नागरिक निकाल कर लाए थे हम तब।

इतने देश साथ देते हैं, फिर भी आप कहते हैं कि हम अकेले खड़े हैं। जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका और रूस हमारे साथ हैं। हम रमुआ नहीं हैं। जैसा शरद यादव जी ने कहा था। पेरिस एग्रीमेंट पर ट्रम्प के बयान पर मोदी ने कहा था कि हम पांच हजार साल पुराने देश हैं। संसदीय मर्यादा का पालन करें। ट्रम्प जो बोले वो तो याद रखते हैं, लेकिन मोदी जो बोलते हैं, वो याद नहीं रखते।

भारत की विदेश नीति की इस समय इतनी अच्छी है कि आज मोदी विदेश जाते हैं तो वो ग्लोबल एजेंडा सेट करते हैं। वो जी 20 में कालेधन पर बात करते हैं। मोदी ने जिनपिंग से कहा था कि मतभेद होते हैं लेकिन इन्हें विवादों में ना बदलें। सीपैक कहां से जा रहा है ये बात जानते हैं आप? हम ओबीओआर में क्यों नहीं गए? ये हमारी संप्रभुता का मामला है। क्या हम अपना अधिकार भूल जाएं?

प्रमुख विपक्षी दल को गंभीरता समझनी चाहिए। राजीव शुक्ला ने कहा था आनंद शर्मा क्यों सफाई दे रहे हैं? क्या आपकी पार्टी में इतना लोकतंत्र है कि राजीव कुछ बोलें और आनंद शर्मा कुछ और? कांग्रेस ने ये कैसे बोलने दिया राजीव शुक्ला को कि हम सीपैक का विरोध क्यों कर रहे हैं?

एक बात और है। कुछ लोगों को झगड़ा लगाने की आदत है। आपने कहा कि मैं पीएम के साथ नहीं जाती या ले जाई नहीं जाती। मैं मनमोहन जी से पूछती हूं कि कितनी बार आप सलमान खुर्शीद या आनंद शर्मा को साथ ले गए। मल्टीलेटरल फोरम पर मैं साथ जाती हूं। ये जो कहा जाता है कि मोदी नीति चला रहे हैं। हमसे पहले की विदेश नीति पीएमओ ड्रिवन थी। यहां MEA से बात कर मोदी जी नीति डिसाइड करते हैं।

सुषमा स्वराज ने चीन पर भारत का स्टैंड पढ़कर सुनाया। कहा हमारे चीन के साथ रिलेशन में नयापन आ रहा है। दोनों देशों के बीच सिक्किम में कुछ सीमा पर विवाद है। वहां ट्राइजंक्शन है। भूटान, चीन और भारत की सीमाएं यहां मिलती हैं। वहां सीमाएं साफ नहीं हैं। 2011 में तय हुआ था कि सीमा विवाद बातचीत से हल किया जाएगा।

1890 में ब्रिटेन और चीन के बीच समझौता हुआ था। दोनों देशों के बीच यह तय हुआ था कि बाउंड्री पर कुछ तय ना होने की स्थिति में मौजूदा हालात बनाए रखेंगे। चीन ने भी अपनी वेबसाइट पर कहा था कि वो सीमा पर शांति बनाए रखेगा। हम चीन से लगातार बातचीत कर रहे हैं। इस मसले को डिप्लोमैटिक लेवल पर सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।

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