केंद्र और विपक्ष में फिर घमाशान

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सरकार और विपक्ष में टकराव बढ़ गया है। मानसून सत्र को चलने देने के लिए सरकार ने सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है, लेकिन दोनों पक्षों में तनातनी बढ़ती ही जा रही है। सरकार ने संसद में गतिरोध के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए विपक्षी पार्टी पर रविवार को दोहरा हमला बोला।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर कहा कि कांग्रेस का नकारात्मक विरोध अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचा रहा है। कांग्रेस राजनीतिक कारणों से भले ही सरकार से परेशान हो, लेकिन उसे यह इस बात को स्वीकार कर लेना चाहिए कि उसके नकारात्मक विरोध से देश और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा।

दूसरी तरफ, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस के लिए सम्मानजनक स्थिति यही है कि वह संसद में बहस करे। उन्होंने कहा कि यदि मानसून सत्र में कामकाज नहीं हो पाता है, तो इसके लिए सीधे-सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को जिम्मेदार माना जाएगा। कांग्रेस के सांसद सोनिया गांधी के सामने लोकसभा अध्यक्ष की ओर तख्तियां उछालते हैं। ऐसे में यदि गतिरोध बना रहता है, तो इसकी जिम्मेदारी सोनिया की ही होगी।

भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने विदेश मंत्री का इस्तीफा मांगकर खुद को ऐसी स्थिति में कर लिया है, जहां से निकलने का सम्मानजनक रास्ता सिर्फ संसद में बहस करने का है। प्रधानमंत्री के बयान की मांग को गैरजरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि जब कभी जरूरत पड़ी है, उन्होंने सदन में बयान दिया है। इसके जवाब में कांग्रेस ने सरकार और भाजपा पर जोरदार पलटवार किया।

जीएसटी के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने आ गए हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी पर कांग्रेस की असहमति के सभी आठ मुद्दों का बिंदुवार जवाब दिया। जेटली ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा कि क्या कांग्रेस ने अपने अवरोधक रवैये की वजह से नकारात्मक भूमिका अपना ली है? संसद चल नहीं पा रही है और इन बिंदुओं को स्पष्ट करने का कोई तरीका नहीं है। इसलिए वह तथ्यों को जनता के समक्ष रख रहे हैं।

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