स्मृति ईरानी ने शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगाने वालों को करारा जवाब देते हुए कहा है कि ऐसे लोग धर्मनिरपेक्षता की आड़ में देश की सारी परंपराओं, उपलब्धियों और विरासत का मजाक बना रहे हैं। इसी तरह उन्होंने योग के विरोध पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर यह भगवाकरण है तो फिर इसे अपनाने वाले दुनिया के 175 देश भी भगवा हो गए।उच्च शिक्षा के आयामों पर गैर सरकारी संगठन ‘हिंदू शिक्षा बोर्ड’ की ओर से बुलाए गए सम्मेलन में ईरानी ने छद्म-धर्मनिरपेक्षता पर जोरदार प्रहार किया। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय शिक्षा के लोकतांत्रिक विस्तार के तमाम प्रयास कर रहा है। लेकिन इसके बावजूद सुर्खियां उस पर नहीं बनेंगी, बल्कि यह बनेगी कि उन्होंने हिंदू शिक्षा बोर्ड के कार्यक्रम में भाग लिया। इसी आधार पर फिक्की का भी विरोध होगा कि उसने ऐसे कार्यक्रम में हिस्सेदारी की। गौरतलब है कि इस कार्यक्रम में उद्योग संगठन फिक्की के महासचिव दीदार सिंह भी मौजूद थे। ईरानी ने कहा, ‘यह सिर्फ भारत में ही संभव है कि हम अपनी परंपराओं, उपलब्धियों और विरासत को ऐसी घृणा की नजर से देखें। जो भी चीज भारतीय है, उसका ये उपहास करेंगे।’
एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय मूल के गणितज्ञ मंजुल भार्गव को फिल्ड्स मेडल मिला जिसे गणित का नोबेल माना जाता है। स्मृति ईरानी ने कहा, ‘मैं उनसे मिली तो उनसे पूछा कि प्रिंसटन विश्वविद्यालय में उनके गणित पढ़ाने का तरीका किस तरह अलग है। उन्होंने बताया कि उनकी मां ने जिस तरह उन्हें संस्कृत की कविताएं बचपन में सुनाई थीं, उन्हीं का उपयोग वे इसे पढ़ाने में भी करते हैं। वे प्रिंसटन विश्वविद्यालय में इसका उपयोग कर दुनिया भर में तारीफ पाते हैं, लेकिन जब वे भारत आते हैं तो उनसे यहां एक टीवी कार्यक्रम में पूछा जाता है कि यह भगवाकरण नहीं है? यह सिर्फ भारत में ही हो सकता है। यहां गणित तो छोडि़ए योग तक का भगवाकरण की बात कर रहे हैं।’
योग दिवस को लेकर भारत में कांग्रेस सहित कुछ संगठनों की ओर से किए जा रहे विरोध पर व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा, ‘दुनिया के 175 देशों ने तीन महीने के अंदर संयुक्त राष्ट्र में विश्व योग दिवस को मंजूरी दे दी लेकिन यहां इसका विरोध किया जा रहा है। इसे मनाने से रोकने के प्रयास हो रहे हैं। तो क्या जिन 175 देशों ने इसे मनाने का फैसला किया है, उनका भगवाकरण हो गया?’
मानव संसाधन विकास मंत्री ने बताया कि देश की नई शिक्षा नीति को तैयार करने के लिए उन्होंने देश के सभी गांव, ब्लॉक और जिलों तक में चर्चा शुरू की है। साथ ही कहा कि अब तक शिक्षा जिस तरह उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा जैसे अलग-अलग खानों में बंटी रही है। उसे खत्म कर इनमें समरसता लाने की कोशिश की जा रही है।इसी कार्यक्रम के दौरान रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि अब तक शिक्षा को उद्योग जगत और बाजार की जरूरतों से जोड़ने की दिशा में उचित प्रयास नहीं हुए हैं। हमें हर स्तर पर यह देखना चाहिए कि इस शिक्षा का व्यक्ति को क्या लाभ मिलेगा।