पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने कहा है कि उनके पिता दोबारा सक्रिय राजनीति में नहीं आएंगे। कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा को यह सफाई इसलिए देनी पड़ी, क्योंकि शिवसेना नेता संजय राउत का दावा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा बहुमत से दूर रहेगी। तब संघ प्रणब दा का नाम प्रधानमंत्री के लिए आगे बढ़ा सकता है।
पिछले दिनों उन्हें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बुलाना इसी तैयारी का हिस्सा है। बता दें कि प्रणब मुखर्जी 7 जून को नागपुर में संघ मुख्यालय गए थे। इस फैसले पर कांग्रेस नेताओं ने नाराजगी जाहिर की थी। प्रणब दा की बेटी ने शिवसेना के दावों को खारिज किया। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा श्रीमान राउत, राष्ट्रपति पद से रिटायर होने के बाद मेरे पिता दोबारा सक्रिय राजनीति में नहीं आ रहे हैं।
भाजपा नेता राम कदम ने कहा कि संजय राउत के बयान से लगता है कि वे शरद पवार की भाषा बोल रहे हैं। 2019 में फिर भाजपा-एनडीए की सरकार बनेगी। सामना कोई अखबार नहीं है और हमें इसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।शिवसेना ने भाजपा और संघ पर तंज कसा। सामना में संपादकीय में लिखा- प्रणब मुखर्जी को बुलाने के पीछे संघ की यही योजना रही होगी।
जो भी एजेंडा होगा वह 2019 के चुनाव के बाद स्पष्ट हो जाएगा। उस समय भाजपा को बहुमत नहीं मिलेगा। देश में माहौल भी ऐसा ही है। ऐसे में लोकसभा त्रिशंकु रही और मोदी के साथ अन्य दल खड़े नहीं रहे तो प्रणब मुखर्जी को सर्वमान्य के रूप में आगे किया जा सकता है।
प्रणब मुखर्जी पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने लिखा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मंच पर गुरुवार को प्रणब मुखर्जी गए। इस पर खूब हो-हल्ला हुआ। कांग्रेसी नासमझ हैं, इसीलिए उन्होंने इस पर हंगामा किया। प्रणब तो दो पहले ही कह चुके थे कि उन्हें जो कहना है नागपुर जाकर ही कहेंगे।
ऐसा लगा था कि प्रणब नागपुर जाकर कोई बम धमाका करेंगे, लेकिन यह तो फुस्सी बम निकला। मुखर्जी का नागपुर जाना जितना चर्चित रहा, उनका भाषण उतना चर्चित नहीं हो पाया। प्रणब बाबू देश के दूसरे गंभीर विषयों को छूने से बचे। न्याय व्यवस्था को लेकर असंतोष है उस पर वे बोले ही नहीं। महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है और आम जनता उसमें पिस रही है।