मोदी सरकार के 6 साल पूरे होने पर शिवसेना ने सामना के जरिए जमकर हमला बोला है. शिवसेना ने सामना के जरिए मोदी सरकार की आलोचना की है. शिवसेना ने केंद्र सरकार पर नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों से अर्थव्यवस्था बिगाड़ने का आरोप लगाया है.
शिवसेना ने कश्मीर पर भी मोदी सरकार से सवाल पूछे हैं.सामना की संपादकीय में लिखा है कि बीजेपी नेताओं ने अपने दूसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ के मौके पर जो बयान दिए हैं, वे मजेदार हैं.
मोदी सरकार के पिछले 6 सालों में पिछले 70 सालों की कमियों को दूर किया गया है, यह दावा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने किया है, जबकि गृहमंत्री अमित शाह का दृष्टिकोण थोड़ा अलग है.
अमित शाह का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले छह दशकों की ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने का काम किया है. वहीं कोरोना संकट के समय मोदी भारत देश के प्रधानमंत्री हैं, यह हमारा सौभाग्य है.
ऐसा बाण रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चलाया है. इन तीन प्रमुख नेताओं के भाषणों से पता चलता है कि मोदी का आत्मनिर्भर भारत कैसे रूप ले रहा है.
कुल मिलाकर ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे महान देश का इतिहास केवल छह-सात वर्षों का है. इसके पहले ये देश नहीं था. कोई स्वतंत्रता संग्राम नहीं था. तब का संघर्ष और बलिदान केवल भ्रम था.
देश की सामाजिक, वैज्ञानिक, चिकित्सा, औद्योगिक क्रांति आदि सभी झूठ हैं. 60 सालों में कुछ भी नहीं हुआ.महाराष्ट्र का सह्याद्री पर्वत, हिमालय, कंचनजंघा, गंगा-यमुना, कृष्णा-गोदावरी इन सभी का निर्माण गत छह सालों में ही हुआ है.
महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, डॉक्टर अंबेडकर, इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह आदि मौजूद ही नहीं थे. तो जो कहा जाता है कि जो काम उनके हाथों संपन्न हुए, वो सिर्फ बोलबचनगिरी के उदाहरण हैं.
सामना यहीं पर नहीं रूका बल्कि ये भी कहा छह सालों में जो कुछ हुआ, वो सब दुनिया के सामने है. नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों ने अर्थव्यवस्था बिगाड़ दी. गरीबी बढ़ी, रोजगार समाप्त हो गए. आज हर चार में से एक व्यक्ति बेरोजगार है.
सार्वजनिक कंपनियों को खत्म करके और बेचकर आर्थिक सुधार का ढोल पीटा जा रहा है. एयर इंडिया जैसी राष्ट्रीय कंपनियां कभी भी जमीन पर गिर पड़ेंगी. कश्मीर में धारा 370 हटाने के बावजूद तनाव खत्म नहीं हो रहा है.
सिक्किम और लद्दाख की सीमा पर चीनी सेना हमारे सीने पर बंदूक ताने खड़ी है. चींटी जैसा देश नेपाल हमारी जमीन पर दावा ठोंक रहा है. यह सब आत्मनिर्भरता के मजबूत होने के संकेत नहीं हैं.