सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में उनके पति और कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर बतौर आरोपी केस चलेगा। पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें 7 जुलाई को हाजिर होने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट के मुताबिक, थरूर पर केस चलाने के लिए पर्याप्त आधार है। 28 मई को कोर्ट ने इस केस में थरूर को आरोपी बनाए जाने पर फैसला सुरक्षित रखा था।
दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में थरूर को आत्महत्या के लिए उकसाने और पत्नी के साथ क्रूरता का आरोपी बनाया है। पुलिस का कहना है कि थरूर के खिलाफ आरोपों की जांच पेशेवर तरीके से की गई है और कोर्ट में वह अपने आरोपों का बचाव करेगी।बता दें कि जनवरी, 2014 को दिल्ली के एक लग्जरी होटल में सुनंदा मृत पाई गई थीं।
एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया। उन्होंने कहा दलीलें सुनने के बाद इस मामले में चार्जशीट और अन्य दस्तावेजों के आधार पर केस आगे बढ़ाया जा सकता है। पुलिस की रिपोर्ट में शशि थरूर पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने और उनके साथ क्रूर तरीके से पेश आने के आरोपी हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए पर्याप्त आधार है।
थरूर के वकील विकास पाहवा ने फैसले पर कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद हमने चार्जशीट की कॉपी मांगी है। इसके बाद अगली कार्रवाई पर फैसला करेंगे। जब उन्होंने कोई गुनाह किया ही नहीं तो केस मनगढ़ंत है। चार्जशीट से निपटने के लिए हमारे पास सभी कानूनी रास्ते खुले हुए हैं।थरूर ने बयान में कहा केस की शुरुआत से ही मैंने जांच में पूरा सहयोग किया और सभी तरह से कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया।
बताना चाहता हूं कि पुलिस की चार्जशीट मनगढ़ंत और बदले की भावना से तैयार की गई है। यह मेरी छवि धूमिल करने की साजिश का हिस्सा है। अब मैं पूरी ताकत से केस लड़ूंगा, क्योंकि मुझे न्याय व्यवस्था पर भरोसा है कि आखिर में जीत सत्य की होती है। मीडिया के अपील है कि सुनवाई के दौरान मेरी और परिवार की निजता का ख्याल रखा जाए।
इससे पहले थरूर ने ट्वीट में चार्जशीट को हास्यास्पद बताया और कहा- जो कोई भी सुनंदा को जानता था उसे यह बात पता है कि केवल मेरे उकसाने से वह आत्महत्या नहीं कर सकती है। चार्जशीट को दिल्ली पुलिस की सही जांच नहीं कहा जा सकता है। पिछले साल अक्टूबर 17 को उनके कानूनी अफसर ने हाईकोर्ट में कहा था कि पुलिस को जांच में किसी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले।
अब 6 महीने बाद पुलिस दावा कर रही है कि मैंने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाया। यह अविश्वसनीय है।14 मई को दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दायर की। 3 हजार पन्नों की चार्जशीट में सांसद शशि थरूर अकेले आरोपी हैं। इसमें आईपीसी 498ए (महिला पर क्रूरता के लिए पति या उसका कोई संबंधी जिम्मेदार) और आईपीसी 306 (खुदकुशी के लिए उकसाना) का जिक्र है।
पुलिस की मांग है कि कोर्ट शशि थरूर को बतौर आरोपी समन भेजे, उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। केस में थरूर का नौकर नारायण सिंह भी मुख्य गवाह बना है।बता दें कि आईपीसी 498ए में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 3 साल और आईपीसी 306 में 10 साल की सजा का प्रावधान है।
मार्च 2018 में आई सीक्रेट रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस को पहले दिन से पता था कि उनकी हत्या हुई है। दिल्ली पुलिस के डिप्टी कमिश्नर बी. एस जायसवाल ने जो पहली रिपोर्ट तैयार की थी, उसमें साफ तौर पर जिक्र था कि वसंत विहार के एसडीएम आलोक शर्मा ने निरीक्षण के बाद कहा था कि यह सुसाइड नहीं है।
इस आधार पर सरोजिनी नगर के एसएचओ को इस मामले की जांच हत्या के तौर पर भी करने को कहा था। ऑटोप्सी रिपोर्ट को देखते हुए कहा था कि मौत की वजह शरीर में जहरीला पदार्थ पहुंचना है। शरीर पर मौजूद कुछ जख्म को देखते हुए भी लगता है कि मारपीट या फिर किसी से जद्दोजहद के दौरान लगने वाले चोट का संकेत दे रहे हैं। रिपोर्ट में इंजेक्शन के निशान को भी ताजा बताया गया था।