दिल्ली की अदालत ने जेएनयू के शोध छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी। उन पर 2019 में सीएए-एनआरसी के विरोध में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था। उनके खिलाफ देशद्रोह और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम – यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने शनिवार को 28 मार्च से विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद की अध्यक्षता में दिन-प्रतिदिन के परीक्षण और सबूतों पर सुनवाई का आदेश दिया।इमाम को जब रावत के सामने पेश किया गया तो उन्होंने आरोपों का नकारात्मक जवाब दिया। उसी पीठ ने 24 जनवरी को धारा 124ए (देशद्रोह), 153ए (धर्म, जाति के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत आरोप तय किए थे।
पुलिस के अनुसार इमाम ने 13 दिसंबर, 2019 को दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में और 16 जनवरी, 2020 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित भड़काऊ भाषण दिए।वह 28 जनवरी, 2020 से न्यायिक हिरासत में हैं और फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।इस बीच युनाइटेड अगेंस्ट हेट अभियान के संस्थापक खालिद सैफी की जमानत याचिका पर फैसला 31 मार्च को सुनाया जाएगा।
सैफी कथित तौर पर 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े एक बड़े षड्यंत्र के मामले में शामिल हैं।सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) और सीएए समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद फरवरी 2020 में उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें 50 से अधिक लोगों की जान चली गई और 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे।