सेनारी नरसंहार मामले में दोषी ठहराए गए 10 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई और तीन अन्य को आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर की गयी। माओवादियों की ओर से करीब 17 वर्ष पहले अंजाम दिये गये इस नरसंहार में 34 लोगों की मौत हो गयी थी।जहानाबाद के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश (एडीजे-तृतीय) रंजीत कुमार सिंह ने इस मामले में फैसला सुनाया।
इस नरसंहार में अगड़ी जाति के 34 लोगों की हत्या कर दी गयी थी। इसके अलावा अदालत ने उन तीनों दोषियों पर एक-एक लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया, जिन्हें इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है। अदालत ने इस मामले में 27 अक्तूबर को 15 लोगों को दोषी ठहराया था।
दो अभियुक्तों व्यास यादव और गनौरी यादव को सजा नहीं सुनायी जा सकी क्योंकि वे अब तक फरार हैं।जमानत मिलने के बाद से फरार दोनों लोगों को 27 अक्तूबर को नरसंहार के मामले में अदालत द्वारा दोषी ठहराये जाने के बाद आत्मसमर्पण करना था। अदालत ने इस मामले में सबूत के अभाव में 23 अन्य लोगों को बरी कर दिया था।
जिला अदालत ने बचेश सिंह, बुधन यादव, बुटई यादव, सत्येंद्र दास, ललन पासी, गोपाल साह, द्वारिका पासवान, करीमन पासवान, गोरई पासवान और उमा पासवान को फांसी की सजा सुनायी। वहीं अरविंद यादव, मुंगेश्वर यादव और विनय पासवान को आजीवान कारावास की सुनायी गयी।