DND फ्लाई-वे पर टोल फ्री मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

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डीएनडी फ्लाई-वे पर टोल फ्री करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। बता दें कि डीएनडी टोल फ्री करने के मामले में नोएडा टोल कंपनी इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। फैसले पर रोक लगाने की मांग को लेकर फ्लाई-वे निर्माता कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट डीएनडी फ्लाई-वे पर टोल लेने पर रोक लगाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ नोएडा टोल ब्रिज कंपनी की ओर से दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।

सुप्रीम कोर्ट नोएडा टॉल ब्रिज कंपनी लि. की उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए आज सहमत हो गया जिसमें कंपनी ने दिल्ली को पड़ोसी नोएडा से जोड़ रहे डीएनडी फ्लाईवे पर वाहनों से टोल (पथ कर) लेने से मना करने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति एआर दवे, न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की पीठ टोल कंपनी की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हुयी।

वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने इस मामले में तुरंत सुनवाई किए जाने का आग्रह किया था।उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लाखों यात्रियों को राहत प्रदान करते हुए कल आदेश दिया था कि 9.2 किलोमीटर लंबे आठ लेन वाले दिल्ली.नोएडा डायरेक्ट (डीएनडी) फ्लाइवे पर अब टोल नहीं लिया जाएगा। उच्च न्यायालय का यह आदेश फेडरेशन आफ नोएडा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर जनहित याचिका पर आया था।

याचिका 2012 में दाखिल की गयी थी। याचिका में नोएडा टॉल कंपनी की ओर से उपयोग शुल्क (यूजर फी) के नाम पर टोल लिए जाने को चुनौती दी गयी थी।बता दें कि एनसीआर क्षेत्र के लाखों यात्रियों को राहत देने वाले फैसले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को आदेश दिया था कि आठ लेन वाले और 9.2 किलोमीटर लंबे ‘दिल्ली नोएडा डायरेक्ट’ (डीएनडी) फ्लाई-वे का प्रयोग करने वालों से अब टोल टैक्स नहीं वसूला जाएगा।

न्यायमूर्ति अरूण टंडन और न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की पीठ ने आदेश सुनाते हुए ‘फेडरेशन आफ नोएडा रेजीडेंट्स वेल्फेयर एसोसिएशन’ द्वारा दायर जनहित याचिका का अनुरोध स्वीकार किया। फैसले के कुछ घंटे बाद ही हजारों वाहन टोल चुकाए बगैर टोल दरवाजों से होकर निकले और उन्होंने अदालत के फैसले पर खुशी जताई।

वर्ष 2012 में दायर जनहित याचिका में नोएडा टोल ब्रिज कंपनी द्वारा उपयोगकर्ता शुल्क के नाम पर टोल लगाने और संग्रहण को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने आठ अगस्त को इस याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। सौ से अधिक पेज के फैसले में अदालत ने कहा कि जो उपयोगकर्ता शुल्क वसूला जा रहा है उसे नोएडा टोल ब्रिज कंपनी, इस परियोजना के प्रमोटर और डेवलपर ‘इंफ्रास्टक्चर लीनिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज’ और नोएडा प्राधिकरण से जुड़े वे कानूनी प्रावधान समर्थन नहीं देते जिनके आधार पर यह शुल्क लिया जा रहा है।

इसमें कहा गया कि यात्रियों पर उपयोगकर्ता शुल्क लगाना और वसूलना उप्र औद्योगिक विकास अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है। अदालत ने कहा कि नोएडा टोल ब्रिज कंपनी के अपने वित्तीय लेखाजोखा से साफ है कि उसने योजना शुरू होने से लेकर 31 मार्च 2014 तक टोल आय से करीब 810.18 करोड़ रुपये वसूले और संचालन एवं रखरखाव खर्चा तथा कारपोरेट आयकर हटाने के बाद यह राशि 578.80 करोड़ रुपये है।

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