सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में गैरकानूनी तरीके से चल रही खनन गतिविधियों की सीबीआई जांच का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है.शीर्ष अदालत ने कहा है कि यह आदेश समुचित तरीके से सोच-विचार या जांच ब्यूरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के अवलोकन के बगैर ही दिया गया है.
प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सीबीआई को इस प्रकरण में आपराधिक मामले दर्ज करने का निर्देश देने और इनकी जांच जारी रखने का निर्देश देने तक उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक रहेगी.
इसके साथ ही पीठ ने कहा, हम स्पष्ट करते हैं कि यह आदेश सीबीआई द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश प्रारंभिक जांच रिपोर्ट की जांच-पड़ताल और राज्य सरकार का पक्ष सुनने और इस पर सही तरीके से विचार के बाद उचित आदेश देने से उच्च न्यायालय को नहीं रोकता.
इस मामले की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल दीवान का तर्क था कि उच्च न्यायालय ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर विचार किए बगैर ही यह आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने सही तरीके से विचार के बगैर ही ऐसा किया क्योंकि राज्य में गैरकानूनी खनन के बारे में कोई स्पष्ट आरोप नहीं था, इसलिए जांच ब्यूरो को इस मामले में जांच से रोका जाना चाहिए.
सोनू कुमार और अन्य की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उच्च न्यायालय ने एकदम सही आदेश दिया है क्योंकि राज्य सरकार के अधिकारियों की सांठगांठ से प्रदेश में गैरकानूनी तरीके से खनन गतिविधियां चल रही हैं.