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कांग्रेस ने संजय निरुपम को नोटिस भेजा

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पत्रिका में पंडित जवाहरलाल नेहरू और सोनिया गांधी के बारे में अनाप-शनाप छपने के बाद पार्टी ने अपने मुखपत्रों को लेकर कड़ा रुख दिखाया है.जहां मुंबई के मामले में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और ‘कांग्रेस दर्शन’ के संपादक को इस मामले में कारण बताओ नोटिस दिया गया है वहीं सभी मुखपत्रों में संपादकीय टीम को आंख खुली रखकर ऐसे प्रकाशनों को चलाने के लिए कहा गया है. पार्टी का राज्य इकाईयों से स्पष्ट कहना है, अगर पर्याप्त सावधानी नहीं बरती जा सकती है तो ऐसे प्रकाशनों को तुरंत बंद कर दिया जाए. हाईकमान की तरफ से कहा गया है कि पार्टी की विचारधारा और नेताओं को लेकर कोई चूक आगे बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

बताया जा रहा है कि इस क्रम में कांग्रेस मुख्यालय के मुखपत्र ‘कांग्रेस संदेश’ का हवाला देकर कहा गया हैं कि वहां संपादक को भी अपनी मर्जी से लेख छापने की इजाजत नहीं है. हाल का उदाहरण देकर कहा गया है कि संपादक गिरिजा व्यास का नेशनल हेराल्ड पर लिखा लेख जस का तस नहीं छपा बल्कि उसमें सोनिया गांधी के निवास से आवश्यक बदलाव भी किए गए. ‘कांग्रेस संदेश’ में इससे पहले संपादक अनिल शास्त्री को इस वजह से हटा दिया गया था क्योंकि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री डा.

मनमोहन सिंह की आलोचना की थी. मुबंई कांग्रेस की पत्रिका के मामले में अभी कांग्रेस हाईकमान ने इस तरह का कोई फैसला नहीं लिया है. हालांकि दिल्ली में कांग्रेस के बड़े नेता मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम को संपादक के पद से जल्द मुक्त किए जाने की बात अवश्य  कर रहे हैं.कांग्रेस हाईकमान मुबंई कांग्रेस की पत्रिका के मामले को फिलहाल लंबा खींचने की बजाय ठंडा कर देने के मूड में है क्योंकि इस मामले के जीवित रहने से मीडिया में गांधी-नेहरू परिवार की और छीछालेदर होने का खतरा है.

पार्टी के वरिष्ठ नेता कह रहे हैं कि सोनिया नहीं चाहती है कि इससे निरुपम के मुबंई कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी पर असर पड़े. दरअसल निरुपम को मुबंई का अध्यक्ष बनाए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है. पत्रिका में अनाप-शनाप छपने पर निरुपम को महासचिव और प्रभारी मोहन प्रकाश ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. कहा जा रहा है कि उनसे नोटिस में माफीनामा जैसा कुछ लेकर मामले को ठंडा करने की कोशिश की जाएगी.

मुबंई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम से जब ‘राष्ट्रीय सहारा’ ने फोन करके पूछा तो उन्होंने कहा कि वह अब इस मामले में कुछ भी बोलना नहीं चाहते. जब उनसे प्रभारी महासचिव के स्पष्टीकरण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह एक दिन पहले ही अपनी नैतिक भूल स्वीकार कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि वह यह भी कह चुके हैं कि इस बार सावधानी नहीं बरती गई थी. भविष्य में वह पूरी सावधानी बरतेंगे. हालांकि जब प्रभारी मोहन प्रकाश को फोन किया गया तो उन्होंने उठाया नहीं.

कांग्रेस महासचिव गुरदास कामत मुबंई कांग्रेस के मुखपत्र में अनाप-शनाप छपने के बाद निरुपम के खिलाफ सक्रिय हो गए हैं. जैसे ही मुखपत्र का धमाका हुआ, कामत दिल्ली में नजर आए. स्थापना दिवस के मौके पर उन्होंने दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से कहा कि शिवसेना से आए निरुपम को विचारधारा की कोई समझ नहीं है और उसने नेहरू-सोनिया का अपमान कराया है. वो यह भी बोले कि इस झटके से उबरने में पार्टी को बहुत वक्त लगेगा. निरुपम ने पिछले दिनों कामत का नाम लिए बिना यह बयान दिया था कि पुराने नेता युवा नेताओं को काम नहीं करने दे रहे हैं.

इसके बाद पार्टी को सफाई देनी पड़ी थी कि पार्टी में पुराने और युवा दोनों नेताओं का समिशण्रहै. कामत और निरुपम की मुंबई कांग्रेस की राजनीति में कभी भी नहीं पटी. पर यह दिलचस्प है कि दोनों को राहुल गांधी का आशीर्वाद हासिल है. मुंबई कांग्रेस के दफ्तर में मंगलवार को कामत गुट के कार्यकर्ता निरुपम से यह पूछने भी पहुंच गए कि नेहरू-सोनिया के खिलाफ लेख लिखने वाला सुधीर जोशी कहां रहता, उसके घर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. कहा जा रहा है कि निरुपम मंगलवार को मुबंई कांग्रेस के दफ्तर ही नहीं आए.

कांग्रेस के मुखपत्रों में वरिष्ठ नेताओं के दौरे और उनका महिमामंडन करने के सिवा कुछ नहीं छपता है. पार्टी के ही वरिष्ठ नेता मानते हैं कि विचारधारा के बारे में संदेश देने में पार्टी के सारे मुखपत्र शून्य हैं. मुख्य मुखपत्र ‘कांग्रेस संदेश’ का हाल यह है कि उसमें विचारधारा संबंधी किसी लेख की बजाय सोनिया-राहुल के कार्यक्रम और फोटो ही ज्यादा छपते हैं. पार्टी के दूसरे प्रमुख नेताओं के विचारों का इसमें सदैव अभाव ही रहता है. राज्यों इकाईयां जो मुखपत्र निकालती हैं,उनका हाल तो और भी खराब है.

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