रूस-यूक्रेन संघर्ष से उत्पन्न भू-राजनीतिक जोखिमों से भारत का आयात बिल और अधिक बढ़ने की आशंका है। नतीजतन, यह प्रवृत्ति देश के चालू खाता घाटे को बढ़ाएगी।इस संकट से खनिज ईंधन और तेल, रत्न और आभूषण, खाद्य तेल और उर्वरक की कीमतें बढ़ने की आशंका है।वर्तमान में भारत इन वस्तुओं के लिए महत्वपूर्ण रूप से आयात पर ही निर्भर है।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने एक बयान में कहा, इसके परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 2022 में व्यापारिक आयात 600 अरब डॉलर को पार कर सकता है।बयान के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था पर संघर्ष का तत्काल प्रभाव मुद्रास्फीति (महंगाई), चालू खाता घाटे में वृद्धि और रुपये के मूल्यह्रास के माध्यम से महसूस किया जाएगा।
इंड-रा (इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च) के विश्लेषण के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतों में 5 डॉलर प्रति बैरल (बीबीएल) की वृद्धि व्यापार या चालू खाता घाटे में 6.6 अरब डॉलर की वृद्धि में तब्दील हो जाएगी।इसने कहा भारतीय अर्थव्यवस्था पर रूस-यूक्रेन संघर्ष के प्रभाव को उच्च वैश्विक कमोडिटी कीमतों के माध्यम से महसूस किया जाएगा क्योंकि भारत एक शुद्ध वस्तु आयातक है।
इसके अलावा उच्च कच्चे तेल की कीमत भारत के लिए चिंता का कारण है क्योंकि अगर ओएमसी मौजूदा कीमतों को संशोधित करने का फैसला करती है तो इससे पेट्रोल और डीजल की बिक्री कीमतों में 8 रुपये से 10 रुपये का इजाफा हो सकता है।फिलहाल भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चे तेल का आयात करता है।
इसके अलावा उच्च ईंधन लागत का व्यापक प्रभाव एक सामान्य मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी पैदा करेगा।पहले से ही भारत का मुख्य मुद्रास्फीति गेज – उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) – जो खुदरा मुद्रास्फीति को दशार्ता है, जनवरी में भारतीय रिजर्व बैंक की लक्ष्य सीमा को पार कर चुका है।