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संघ पूर्व फौजियों से समझौता चाहता है

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तीन दिवसीय भाजपा-संघ की समन्वय बैठक में इसने सरकार को नगा समझौते की तर्ज पर आगे बढऩे का सुझाव दिया है। केंद्र में राजग सरकार गठन के बाद पहली विस्तृत समन्वय बैठक में संघ और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व मौजूद था। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ लगभग पूरा संसदीय बोर्ड बैठक में था। बताते हैैं कि बैठक के पहले दिन तो एजेंडे के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा और कृषि पर चर्चा हुई, लेकिन संभवत: मध्यावकाश में वरिष्ठ मंत्रियों से वन रैंक वन पेंशन के विवाद पर चिंता जताई गई।

संभवत: भैयाजी जोशी ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से कहा कि इसका संदेश गलत जा रहा है। सिद्धांतत: प्रधानमंत्री सहमति जता चुके हैं। इसे दोहराते हुए कोई कमेटी बना दी जानी चाहिए जो विस्तृत रूप से फैसला करे। बताते हैं कि सरकार को लेकर बन रही छवि पर भी बात हुई। संघ ने संगठन के स्तर पर इसकी पूरी निगरानी का सुझाव दिया और कहा कि सरकार काम कर रही है तो यह संदेश भी लगातार प्रसारित होते रहना चाहिए।

औपचारिक रूप से चर्चा के लिए आर्थिक सुधार का मुद्दा था। इसमें कृषि से लेकर सड़क और लघु व मध्यम स्तर के उद्योग से लेकर स्टील प्लांट तक पर चर्चा हुई। सुझाव यह दिया गया कि विकास का वह फार्मूला अपनाया जाना चाहिए जिससे सबको जोड़ा जा सके। औद्योगिक विकास का लाभ समाज के निचले स्तर के लोगों तक को मिलना चाहिए। इसी क्रम में कृषि आधारित उद्योग की बात कही गई। राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी बात हुई और खासतौर से कश्मीर पर चर्चा हुई। सरकार ने संघ को आश्वस्त किया कि कश्मीर समेत दूसरे प्रभावित राज्यों में सधे कदमों से उपाय किए जा रहे हैं।

बताते हैं कि आगे दो दिनों में शिक्षा, संस्कृति, आदिवासी कल्याण और वित्त समेत बिहार चुनाव, धार्मिक जनगणना जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। संबंधित मंत्री भी बुलाए जाएंगे और संघ के अनुषांगिक संगठनों की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुक्रवार को कुछ देर के लिए बैैठक में शामिल होने की संभावना है। ‘वन रैंक वन पेंशन’ पर सरकार और आंदोलनकारियों के बीच बंद हो गए बातचीत के दरवाजे फिर से खुल सकते हैं। इस मुद्दे पर आंदोलनरत पूर्व फौजी पेंशन की सालाना समीक्षा की अपनी मांग छोडऩे को तैयार हो गए हैं।

पूर्व फौजियों के संगठन इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट के महासचिव ग्रुप कैप्टन वीके गांधी ने ‘दैनिक जागरण’ से इस बारे में कहा, ‘अगर सरकार हमें बताती है कि उन्हें इस पर कोई समस्या है, तो हम इस पर विचार करने को तैयार हैं। अगर उन्हें लगता है कि दो साल में समीक्षा की जा सकती है, तो हम एक साल पर ही अड़े नहीं रहेंगे।’

बुधवार शाम को पूर्व फौजियों के आंदोलन की 16 सदस्यों वाली संचालन समिति की बैैठक में यह फैसला लिया गया। यह आंदोलन लंबे खिंच जाने और मीडिया व जनता में इसको लेकर बहुत उत्साह नहीं दिखाए जाने की वजह से आंदोलनकारियों को यह रणनीति बनानी पड़ी।

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