नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ जदयू-राजद-कांग्रेस गठबंधन का चेहरा होंगे। मुलायम सिंह यादव ने लालू प्रसाद यादव की उपस्थिति में उनके नाम का एलान किया। वैसे इस मौके पर लालू यादव अपनी टीस छुपा नहीं सके।उन्होंने जता ही दिया कि भाजपा जैसी सांप्रदायिक पार्टी को हराने के लिए उन्होंने यह ‘जहर का घूंट पिया है। गठबंधन के नेता को लेकर दोनों दलों के बीच चल रही तनातनी के खत्म होने की घोषणा करते हुए लालू ने अपने कार्यकर्ताओं को संभलकर बोलने की ताकीद की।नीतीश कुमार को गठबंधन के मुख्यमंत्री की घोषणा करते हुए जनता परिवार के मुखिया मुलायम सिंह ने कभी घोर विरोधी रहे क्षत्रपों के बीच एकजुटता पर खुशी जताई। उनके अनुसार लालू यादव ने खुद नीतीश कुमार का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया और चुनाव प्रचार के लिए तैयार हुए। उन्होंने भरोसा दिया कि दोनों नेताओं में कोई मतभेद नहीं है और वे आगे कोई मतभेद उत्पन्न नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि जल्द ही दोनों दलों के लिए सीटों का बंटवारा भी हो जाएगा।
अंदरूनी सूत्रों की माने तो इस गठबंधन को कराने में परदे के पीछे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अहम भूूमिका रही है। सोनिया गांधी के दबाव के आगे लालू यादव को नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार स्वीकार करना पड़ा। ध्यान रहे कि दो दिन पहले दिल्ली पहुंचे नीतीश ने जनता परिवार की बैठक से पहले राहुल गांधी से मुलाकात की थी। इससे पहले कांग्र्रेस ने बिहार चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लडऩे का एलान कर दिया था।मुलायम सिंह यादव भले ही गठबंधन को एकजुट रहने का भरोसा दे रहे हों, लेकिन उनके बगल में बैठे लालू यादव का दर्द इसके भविष्य पर सवालिया निशान लगा गया। लालू यादव ने स्वीकार किया कि मजबूरी में उन्हें जहर का यह घूंट पीना पड़ा है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं चुनाव नहीं लड़ सकते और उनकी पार्टी या परिवार से मुख्यमंत्री पद का कोई दावेदार नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके और नीतीश के बीच कोई मतभेद नहीं हैं।
लालू और मुलायम, दोनों ने स्वीकार किया कि भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए यह गठबंधन जरूरी है। दरअसल इनको को पिछले साल ही लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। बिहार में भाजपा व उसके सहयोगी दलों ने 40 में से 31 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। अपनी पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं को संभलकर बोलने की नसीहत देते हुए लालू यादव ने कहा कि वह और नीतीश एक ही परिवार से हैं। हमारे अपने-अपने संघर्ष है और मतभेद हैं और हमने एक-दूसरे पर आरोप भी लगाए हैं। इसके बावजूद जब बिहार में राज्यसभा चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए उनका समर्थन किया। उन्होंने मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों के बीच चल रहे विवाद का ठीकरा भी मीडिया पर फोड़ा। कहा कि सांप्रदायिक ताकतें मीडिया के माध्यम से बोलती हैं। सभी तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि हम साथ नहीं आ सकते। आज हमने इन अफवाहों को गलत साबित कर दिया है।