कांग्रेस के प्रदीप टम्टा ने उत्तराखंड से राज्यसभा की एकमात्र सीट जीतकर निर्दलीय अनिल गोयल को हरा दिया और वह इस पर्वतीय राज्य से संसद के ऊपरी सदन में कदम रखने वाले पहले दलित बन गए.विधानसभा के सचिव जगदीश चंद्रा ने बताया कि राज्य विधानसभा के 58 सदस्यों ने वोट डाला जिनमें से 32 वोट टम्टा के पक्ष में जबकि 26 ने गोयल के पक्ष में पड़े.
भीमताल से भाजपा के विधायक दान सिंह भंडारी ने शुक्रवार को विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था जिससे सदन में पार्टी की संख्या घटकर 26 रह गयी. कांग्रेस-पीडीएफ गठबंधन के सभी 32 विधायकों ने वोट डाला. कांग्रेस के 26 और पीडीएफ के छह विधायक हैं.वैसे, कुमाऊं क्षेत्र से प्रमुख दलित नेता टम्टा के पक्ष में सत्तारूढ़ गठबंधन के मजबूत संख्या बल होने की वजह से उनकी जीत सुनिश्ति मानी जा रही थी लेकिन शुरू में पार्टी और गठबंधन के अंदर से ही उनकी उम्मीदवारी के विरोध से अंतिम क्षण में क्रॉस वोटिंग की आशंका पैदा हो गयी थी.
हालांकि कांग्रेस आलकमान के हस्तक्षेप के बाद कांग्रेस-पीडीएफ गठबंधन एकजुट नजर आयी है और उसने टम्टा के पीछे अपनी पूरी संयुक्त ताकत लगा दी.भाजपा ने टम्टा की उम्मीदवारी से असंतुष्ट कुछ नेताओं की नाराजगी भुनाने का प्रयास किया लेकिन वह विफल रही. मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि वैसे भाजपा आधिकारिक रूप से चुनाव नहीं लड़ रही था लेकिन उसने अनिल गोयल और गीता ठाकुर को परोक्ष रूप से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतारा. ठाकुर अंतिम घड़ी में चुनाव मैदान से हट गए और फिर गोयल टम्टा से सीधा मुकाबले में रह गए.
भाजपा के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार द्वारा कांग्रेस-पीडीएफ गठजोड़ में सेंध लगाने की पार्टी (भाजपा) की उम्मीद धरी की धरी रह गयी क्योंकि गठबंधन के सभी 32 वोट टम्टा को मिल गए.टम्टा ने 15 वीं लोकसभा में अल्मोड़ा का प्रतिनिधित्व किया था.राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस की जीत राजनीतिक गलियारों में भाजपा के लिए एक और झटके के रूप में देखी जा रही है.
भाजपा 10 मई के विश्वास मत परीक्षण में रावत की जीत और फिर उनकी सरकार की बहाली के झटके से अभी पूरी तरह उबर भी नहीं थी.मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘यह उत्तराखंड के लोगों की आकांक्षाओं की जीत है. यह गलत तरीके से जीत हथियाने की भाजपा की मंशा के लिए एक दूसरा झटका है.