राजनाथ सिंह ने योग को भारत की तरफ से विश्व को दिया गया सबसे बड़ा उपहार बताते कहा है कि इसे किसी जाति, धर्म अथवा मजहब की सीमाओं में बांधकर नहीं देखा जाना चाहिए। राजनाथ सिंह ने आज पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर विशाल के डी सिंह स्टेडियम में आयोजित सामूहिक योग सत्र को संबोधित करते हुए कहा, आज भारत में ही नहीं, बल्कि सारी दुनिया में योग और आयुर्वेद का अभ्यास किया जा रहा है, जो कि हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड समेत कई मुस्लिम संगठनों के विरोध के बावजूद आज केडी सिंह बाबू स्टेडियम में योगाभ्यास के लिए जुटे लगभग 15 हजार लोगों में बड़ी संख्या में मुसलमान भी शामिल थे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने आधिकारिक रूप से तो योग दिवस के कार्यक्रम नहीं करते हुए इसे लोगों की स्वेच्छा पर छोड़ दिया था इसके बावजूद योग सत्र में राज्य सरकार के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की अच्छी खासी उपस्थिति देखी गयी। योग सत्र में ‘सूर्य नमस्कार’ आसन का अभ्यास नहीं किया गया, पर कई योग क्रियाओं में ’ओम’ का उच्चारण किया गया।राजनाथ ने योग को भारत की तरफ से दुनिया को दिया गया सबसे बड़ा उपहार बताते हुए कहा, दुनिया में या तो बौद्ध धर्म का सर्वाधिक प्रचार हुआ है अथवा फिर योग का जिसे दुनिया के 191 देशों ने स्वीकार किया है। गृह मंत्री ने लगभग एक घंटे तक चले योग अभ्यास शिविर में स्वयं भाग लिया और आसन एवं योग की विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास किया। उनके साथ लखनऊ के मेयर डॉ दिनेश शर्मा, विधायक गोपाल टंडन तथा कई भाजपा नेता एवं कार्यकर्ता शामिल थे।
गृह मंत्री ने कहा कि योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली मान्यता को भारत के विश्व गुरू बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। सिंह ने कहा, यह (योग) समाज को समाज से जोड़ता है और इसे किसी धर्म, जाति अथवा पंथ में बांध कर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में इस्लाम के कुल 72 फिरके है और भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां 72 के 72 फिरके एक साथ रहते हैं, किसी इस्लामिक देश में भी ऐसा नहीं है।देश की सर्वधर्म समभाव की संस्कृति की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ईसाई धर्म की शुरुआत चाहे जहां से हुई हो, पहला चर्च केरल में बना था। उन्होंने कहा कि जब पारसी समाज के लोग ईरान से विस्थापित कर दिये गये तो उन्हें भारत में सम्मान मिला और यही बात यहूदियों पर भी लागू होती है।