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जम्मू कश्मीर में हिंसा को लेकर राजनाथ सिंह ने लिया जायजा

केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में कश्मीर राज्य के मौजूदा हालात की समीक्षा के लिये हुई बैठक में सभी पक्षों से शांतिवार्ता करने सहित अन्य विकल्प अपनाने पर विचार विमर्श हुआ. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हुई बैठक में नौ अप्रैल को श्रीनगर लोकसभा सीट के उपचुनाव में हुई हिंसा के बाद कश्मीर घाटी में उपजे हालात की समीक्षा की गयी.

इस दौरान अधिकारियों ने हिंसा प्रभावित इलाकों में हालात सामान्य करने के लिये उठाये गये कदमों की गृह मंत्री को जानकारी दी. सूत्रों के मुताबिक बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि क्या ऐसे किसी अलगाववादी गुट से शांतिवार्ता करना सार्थक विकल्प होगा जो प्रदर्शनकारियों के गुटों पर कोई प्रभाव रखता हो. हालांकि गृह मंत्री पहले भी घोषित कर चुके है कि सरकार संविधान के दायरे में किसी भी पक्ष या गुट से शांति की खातिर बातचीत के लिये तैयार है.

इस बीच पिछले साल 8 जुलाई को आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन से ताल्लुक रखने वाले बुरहान वानी की सेना के साथ मुठभेड़ में मौत के बाद कश्मीर घाटी में भड़की हिंसा को रोकने में सुरक्षा एजेंसियों को शांतिवार्ता का विकल्प कारगर साबित होता नहीं दिख रहा है. क्योंकि बातचीत की पहल में शामिल किये जा सकने वाले ऐसे किसी गुट की अब तक पहचान नहीं हो सकी है जो हिंसा को रोकने में प्रभावी साबित हो सके.

इस बीच कश्मीर से लगातार सैनिकों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाले वीडियो वायरल होने की समस्या के समाधान पर भी बैठक में चर्चा की गई. सूत्रों के मुताबिक इन वीडियो की प्रमाणिकता की जांच भी एक चुनौती है क्योंकि इनमें से अधिकांश वीडियो पाकिस्तान से सोशल मीडिया के मार्फत जारी किये जा रहे हैं. इसके अलावा बैठक में पाकिस्तानी संगठनों द्वारा कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों को पुलिसकर्मियों और इनके परिजन को निशाना बनाने के लिये भड़काने की योजना से निपटने पर विचार किया गया.

इस बीच गृह मंत्रालय को वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अगुवाई वाले दल की कश्मीर के मौजूदा हालात से निपटने से जुड़ी रिपोर्ट भी मिल गयी है. इस दल ने पिछले साल अलगाववादी गुटों से बातचीत के विकल्पों की संभावनायें तलाशने के लिये कश्मीर घाटी का दो बार दौरा किया था. समझ जाता है कि रिपोर्ट में सरकार को हुर्रियत सहित अन्य अलगाववादी गुटों से यथाशीघ्र बहुपक्षीय बातचीत शुरू करने और घाटी में मानवाधिकारों की हालत सुधारने की सिफारिश की गयी है. 

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