पूर्व पीएम राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों में से एक एजी पेरारिवलन को ऑर्डिनरी लीव (पैरोल) दे दी है। पेरारिवलन को अपने बीमार पिता से मिलने के लिए 30 दिन की पैरोल दी गई है। बता दें कि राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक सुसाइड बम अटैक में मौत हो गई थी। हमले का आरोप श्रीलंका के संगठन LTTE पर लगा था।
इस हत्याकांड के सातों दोषी- पेरारिवलन , मुरुगन, शंतन, रॉबर्ट पायस, नलिनी, जय कुमार और रविचंद्रन जेल में हैं। मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी।सरकार की ओर से वेल्लोर जेल के डीआईजी को जारी किए गए निर्देश के मुताबिक, पेरारिवलन को एक महीने की पैरोल और इस दौरान जरूरी सिक्युरिटी मुहैया कराने के ओदश दिए हैं।
राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी पेरारिवलन (46) करीब 26 साल से जेल में बंद है।इससे पहले इस मामले में एक और दोषी नलिनी को अपने बीमार पिता से मिलने और उनकी अंतिम संस्कार के लिए 2 बार पैरोल दी जा चुकी है।बता दें कि पेरारिवलन की मां और कई पॉलिटिकल पार्टियों ने पेरारिवलन को बीमार पिता से मिलने के लिए पैरोल की मांग की गई थी।
17 अगस्त को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से उस बम को बनाने की साजिश से जुड़ी जांच के बारे में जानकारी मांगी है, जिससे 1991 में राजीव गांधी की हत्या की गई थी।इस मामले में पेरारिवलन ने दावा किया था कि बम बनाने की साजिश की सही ढंग से जांच नहीं की गई।
सुप्रीम कोर्ट में पेरारिवलन ने पिटीशन दायर कर आरोप लगाया था कि इस मामले में न तो CBI की स्पेशल टीम ने ठीक तरह से जांच की और न ही मल्टी डिसीप्लिनरी एजेंसी (MDMA) ने। उसका आरोप है कि इस हत्याकांड में ऊंचे ओहदे वाले कई लोग शामिल थे।इससे पहले 1 मई को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने CBI से इस साजिश पर डिटेल रिपोर्ट मांगी थी।
यह भी पूछा था कि इसमें कितना वक्त लगेगा। कोर्ट ने कहा था कि राजीव गांधी की हत्या के पीछे की बड़ी साजिश की जांच होनी चाहिए।कोर्ट के सवालों पर एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने कहा था- मामले की जांच जारी है, इसमें कुछ और वक्त लगेगा क्योंकि कुछ आरोपी भगोड़े हैं। सिंह ने ये भी कहा कि कुछ आरोपी देश से बाहर हैं लिहाजा उनका प्रत्यर्पण (extradition) कराना होगा।
इस पर कोर्ट ने पूछा- क्या आज सरकार का यही स्टैंड है? क्या इन पर जांच चल रही है? जवाब में सिंह ने कहा- हां, लेकिन इसके लिए कुछ वक्त चाहिए।सीबीआई की तरफ से साफ किया गया कि इस मामले में पहले ही काउंटर एफिडेविट फाइल किया जा चुका है और पेरारिवलन की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने खुद मुहर लगाई थी।नलिनी श्रीहरन को तमिलनाडु के वेल्लोर की स्पेशल जेल में रखा गया है।
नलिनी को पहले मौत की सजा सुनाई गई थी, राज्य सरकार ने इसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया था।सुप्रीम कोर्ट ने उसके अलावा, नलिनी के पति मुरुगन समेत चार अन्य दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी।नलिनी समेत बाकी तीन को भी मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उनकी मर्सी पिटीशन पर 11 साल तक सुनवाई नहीं होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।
तमिलनाडु सरकार ने इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट को बताया था कि वह कोर्ट के 2012 के फैसले में कोई दखल नहीं देगी, न ही दोषियों को माफ करेगी।बता दें कि दोषियों ने सबसे पहले 2012 में पिटीशन दायर करके सरकार से उन्हें रिहा कराने की गुहार लगाई थी।उनका कहना था कि वे 20 साल की कैद काट चुके हैं। उन्होंने उम्रकैद की सजा पाए कई लोगों को 14 साल की कैद के बाद रिहा किए जाने का उदाहरण भी दिया।
रॉबर्ट ने सीएम ई पलानीस्वामी को लेटर लिखकर कहा था कि अगर उन्हें रिहा नहीं किया जाता है तो दया के आधार पर मौत की सजा दे दी जाए।केंद्र सरकार ने भी दोषियों को किसी भी स्थिति में रिहा करने से इनकार कर दिया था।हाईकोर्ट मेंरॉबर्ट पायस और जय कुमार को को वक्त से पहले रिहा करने संबंधी पिटीशन पर ही बुधवार को सुनवाई हो रही थी।