कांग्रेस नेतृत्व में राहुल गांधी ने अपनी पार्टी में यह साफ कर दिया है कि बिहार में नीतीश कुमार को गठबंधन का हिस्सा हर हाल में बनाए रखा जाएगा, एक मिशन है जिसका वह नेतृत्व करना चाहेंगे. बताया जाता है कि वे अगले सप्ताह विपक्ष के नेताओं के साथ एक बैठक भी करेंगे. इसके अलावा नीतीश कुमार से अलग मुलाकात भी करेंगे.
बिहार में नीतीश कुमार, लालू यादव की पार्टी और कांग्रेस गठबंधन की सत्ता में है. मुख्यमंत्री ने पिछले माह राष्ट्रपति पद के लिए केंद्र के प्रत्याशी को समर्थन देने का फैसला लेकर अपने गठबंधन के सहयोगियों के फैसले को ठुकरा दिया. कांग्रेस और लालू यादव उन 17 दलों के समूह का हिस्सा हैं जिन्होंने चुनाव में विपक्ष का प्रत्याशी खड़ा किया है.
इन पार्टियों के लिए रोना इस बात का है कि साल 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले राष्ट्रपति चुनाव के जरिए विपक्ष की टीम को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है, और बीजेपी के खिलाफ बनने वाली इस टीम में नीतीश कुमार सबसे उत्साही समर्थकों में से हैं.बताया जाता है कि अब राहुल गांधी ने नीतीश कुमार से विपक्षी दलों की बैठक अगले हफ्ते उनकी सुविधा के अनुसार बुलाए जाने के बारे में कह दिया है.
इस बैठक में संकट में फंसे किसानों की कर्ज माफी व फसलों के बेहतर दाम दिलाने की मांग, कथित गौ संरक्षकों की भीड़ द्वारा किए जाने वाले हमले और युवाओं में रोजगार की कमी के मुद्दों पर चर्चा होगी.पार्टी के सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी नीतीश कुमार से अकेले में मुलाकात भी करेंगे.
नीतीश कुमार का कहना है कि वे विपक्ष की एकता के लिए हमेशा से प्रतिबद्ध हैं. सिर्फ राष्ट्रपति का मुद्दा ही ऐसा है जिसके लिए उनका बीजेपी को समर्थन है. हालांकि उनके इस फैसले ने बिहार में काफी हड़कंप मचा दिया है. कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मुख्यमंत्री के सिद्धांत लचीले हैं. इस पर उन्होंने प्रत्युत्तर में कहा कि विपक्ष में गड़बड़ है क्योंकि इसकी संयोजक कांग्रेस धीमी गति से चल रही है.
उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि जब तक विपक्षी पार्टी खुद को प्रतिक्रियावादी की जगह विकल्पवादी नहीं बनातीं, वे अपनी अपनी मौजूदा सार्वजनिक छवि को उज्जवल बनाने में सफल नहीं हो पाएंगी.राहुल गांधी की पार्टी जब राष्ट्रपति के लिए एक संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार चुनने करने की कोशिश कर रही थी तब उन्होंने विदेश यात्रा को चुना.
उन्हें वापसी की जल्दी भी नहीं थी जबकि बिहार में गठबंधन खतरे के निशान को तोड़ता हुआ दिखाई दे रहा था. उनकी पार्टी ने कहा कि संकट से निपटने के लिए उनकी मां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी यहां मौजूद हैं. लेकिन यह देखते हुए जैसी कि उम्मीद की जा रही है कि वे अक्टूबर में पार्टी के शीर्ष पद पर आ जाएंगे, उनकी अनुपस्थिति को उनकी प्रतिबद्धता में कमी के रूप में देखा गया.
आलोचक अक्सर उन पर ऐसे आरोप लगाते रहे हैं.बिहार के मुख्यमंत्री, उनके सहयोगियों का दावा है और वे स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस ही वह अकेली पार्टी है जो विपक्षी दलों को एक साथ जोड़ सकती है. बीजेपी विरोधी दल एक साथ जुटकर कैसे आगे बढ़ें, इसके लिए राहुल गांधी के सुझावों का रास्ता खुला हुआ है.