कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल विवाद को लेकर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से इस्तीफा मांगा। उन्होंने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की क्षमताओं को लेकर सीतारमण पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। इससे पहले सीतारमण ने कहा था कि यूपीए के कार्यकाल में ही एचएएल को सौदे से बाहर कर दिया गया था।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ब्लॉग में कांग्रेस अध्यक्ष को मसखरा शहजादा कहा। उन्होंने लिखा कि राहुल के नेतृत्व में झूठ फैलाने का अभियान चलाया जा रहा है।राहुल ने ट्वीट किया आरएम (राफेल मिनिस्टर) ने फिर से भ्रष्टाचार के बचाव में झूठ बोला। एचएएल के पूर्व प्रमुख टीएस राजू ने इसे पकड़ा।
उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।एक मीडिया रिपोर्ट में राजू ने कहा है कि एचएएल भी राफेल विमान बना सकती है। राहुल ने इसरिपोर्ट का हवाला दिया।अरुण जेटली ने गुरुवार को ब्लॉग में लिखा- 29 अगस्त के ब्लॉग में मैंने राफेल डील पर कांग्रेस के हर झूठ से पर्दा उठाया था।
झूठ फैलाने का यह अभियान कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में चल रहा है। उनकी रणनीति साफ है कि एक झूठ गढ़ो और इसे बार-बार दोहराओ। राफेल पर मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।जेटली ने कहा 15 उद्योगपतियों का ढाई लाख करोड़ कर्ज माफ करना कांग्रेस का दूसरा झूठा है।
राहुल गांधी कहते हैं कि नरेंद्र मोदी ने कर्ज माफ किया, लेकिन उनका हर शब्द झूठा है। जिसकी फितरत में सिर्फ झूठ फैलाना है, क्या उसे जनता को उपदेश देने का हक है? इसके लिए गंभीरता चाहिए। यह कोई लॉफ्टर चैलेंज नहीं कि आंख मिचकाने और गले मिलने से हो जाएगा।
जनता को सोचना चाहिए कि क्या मसखरे शहजादेको उपदेश की इजाजत दी जाए?पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने मंगलवार को आरोप लगाया- सीतारमण ने कहा है किसरकारी एचएएल के पास जेट बनाने की क्षमताएं नहीं हैं। इससे एचएएल की छवि खराब हुई है। एचएएल ने अब तक 4,060 विमानों का निर्माण किया है।
एंटनी ने कहा था- एचएएल भारत की एकमात्र कंपनी है, जो लड़ाकू विमानों का निर्माण कर सकती है। मोदी सरकार ने एचएएल के महत्व को कम किया है और उसकी जगह निजी तथा अनुभवहीन कंपनी को डील का हिस्सा बनाया गया।
इस पर सीतारमण ने कहा था- एचएएल को लेकर कांग्रेस जो आरोप सरकार पर लगा रही है, इसके लिए वह खुद जिम्मेदार है। यह सब कांग्रेस की गलत नीतियों के चलते हुआ। कांग्रेस को जवाब देना चाहिए कि यूपीए सरकार के दौरान डसॉल्ट और एचएएल के बीच समझौता क्यों नहीं हो पाया?
हम यूपीए सरकार की तुलना में 9% कम दामों में राफेल विमानखरीद रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सरकार पर तंज कसा था कि सरकार अगर ने कम दामों में डील की है तो उसे 126 से ज्यादा विमान खरीदने चाहिए।
राफेल डील भारत-फ्रांस की सरकार के बीच सितंबर 2016 में हुई। इसके तहत फ्रांस भारत को 36 अत्याधुनिक लड़ाकू विमान देगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सौदा8 करोड़ यूरो (करीब 58 हजार करोड़ रु.) का है। पहला राफेल सितंबर 2019 में मिलेगा।