हरियाणा में जाट समुदायों को आरक्षण देने के फैसले पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है.इस मामले में अगली सुनवाई अब 21 जुलाई को तय की गई है और हरियाणा सरकार को नोटिस भेजा गया है. हाईकोर्ट की इस रोक से सरकार को बड़ा झटका लगा है.इसे सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. मामले की अगली सुनवाई तक नौकरियों व अन्य शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा. जींंद के रहने वाले शक्ति सिंह नाम के शख्स ने ये पिटीशन 23 मई को लगाई थी.
पिटीशन में कहा है, ‘हरियाणा में जाटों को आरक्षण देने का आधार बनाई गई पिछड़ा वर्ग आयोग की केसी गुप्ता रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है फिर इस रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण क्यों लागू किया गया है.पिटीशन में आरोप लगाया गया कि हरियाणा सरकार ने जाटों के दबाव में उनको आरक्षण दिया. पिटीशन के अनुसार सुप्रीम कोर्ट पहले ही जाटों को आरक्षण देने की नीति को रद्द कर चुका है. राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग सुप्रीम कोर्ट में यह कह चुका है कि जाट पिछड़े नहीं है. सेना, शिक्षा संस्थानों व सरकारी सेवा में जाट ऊंची पोस्ट पर हैं.
गौरलतब है कि 29 मार्च को जाट आरक्षण बिल पास किया गया था जिस पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से जबाब मांगा है. आरक्षण बिल के तहत हरियाणा में जाट, जट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी और मुल्ला/मुस्लिम जाट को पिछड़ा वर्ग की नई कैटेगरी बीसी(सी) के तहत आरक्षण का लाभ मिलने का प्रावधान किया गया था.इस साल के शुरुआत में जाट समुदाय के नौ दिन के व्यापक आंदोलन व हिंसा के बाद हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर ने जाटों को आरक्षण देने का एलान किया था. उक्त हिंसक आंदोलन में कम से कम 30 लोग मरे थे और अरबों की संपत्ति का नुकसान हुआ था.
28 मार्च को हरियाणा कैबिनेट ने जाट आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी थी और उसे विधानसभा के मौजूदा सत्र में पेश करने का एलान किया गया था. उस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.कैबिनेट से मंजूरी के अगले दिन 29 मार्च को विधानसभा में विधेयक पेश किया गया और ऐतिहासिक रूप से बिना चर्चा के बिल पास हो गया.