सामूहिक बलात्कार मामले में दोषी किशोर रिहा

nirbhaya-kand-1

सामूहिक दुष्कर्म की 16 दिसंबर की घटना के किशोर दोषी को रविवार को रिहा कर दिया गया और एक अज्ञात स्थान पर किसी एनजीओ की देखरेख में भेज दिया गया.अब वह पुलिस की निगरानी में नहीं रहेगा.बीस वर्षीय दोषी की रिहाई ऐसे समय में हुई जब पीड़िता के माता-पिता ने उसकी रिहाई के खिलाफ और उसे मौत की सजा दिये जाने की मांग कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ लगातार दूसरे दिन प्रदर्शन में भाग लिया.पुलिस सूत्रों ने कहा, ‘‘हमने उसे एक एनजीओ के साथ भेज दिया है.’’
    
सरकारी सूत्रों ने कहा कि जब दो दिन पहले उससे पूछा गया कि क्या वह उत्तर प्रदेश के बदायूं में अपने घर जाना चाहेगा या किसी एनजीओ की देखरेख में रहना चाहेगा तो उसने सुरक्षा कारणों से एनजीओ के साथ जाने का विकल्प चुना.दिल्ली महिला आयोग ने शनिवार देर रात उसकी रिहाई पर रोक लगाने के लिए प्रयास किये थे लेकिन उच्चतम न्यायालय ने आधी रात के बाद दिये गये फैसले में रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में मामले को एक अवकाशकालीन पीठ के समक्ष भेजा जो सोमवार को मामले पर सुनवाई करेगी.
    
किशोर अपराधी की रिहाई पर दिल्ली उच्च न्यायालय के रोक लगाने से इनकार के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने उम्मीद जताई थी कि मामला न्यायालय में विचाराधीन होने से सरकार और दिल्ली पुलिस किशोर को रिहा नहीं करेंगे.
    
पीड़िता के पिता बद्री सिंह पांडेय ने कहा, ‘‘जहां तक रिहाई की बात है तो आप असहाय हैं. हमारी सरकार, चाहे केंद्र की हो या राज्य की, तभी सुनती हैं जब आप विरोध प्रदर्शन करते हैं. तब लाठीचार्ज कराया जाता है. वरना उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.’’पीड़िता की मां आशा देवी ने कहा, ‘‘सब जानते हैं कि उसे रिहा किया जाएगा तो पिछले तीन साल में ही उचित कदम उठाये जाने चाहिए थे.’’

दोषी नाबालिग की रिहाई को रोकने से इंकार करने संबंधी उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका को प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने अवकाश पीठ के पास भेज दिया था.स्वाति मालीवाल ने जब यह बताया कि मामला अवकाश पीठ के समक्ष भेजा गया है तब गुरू कृष्णन कुमार और देवदत्त कामथ सहित मामले से जुड़े वकील शनिवार देर रात करीब 1.30 बजे न्यायमूर्ति गोयल के आवास पर पहुंचे.
     
उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील में जो आधार बताये गए हैं उनमें कहा गया है कि नाबालिग अपराधी की रिहाई को लेकर उसकी मानसिक स्थिति का आकलन नहीं किया गया है.कामथ ने कहा कि ऐसी खुफिया रिपोर्ट हैं कि सुधार गृह में रहने के दौरान भी इस अपराधी को अपनी करतूत पर कोई पछतावा नहीं है तथा वह कट्टर हो चुका है. ऐसी स्थिति में यह नहीं कहा जा सकता कि वह समाज के लिए खतरा नहीं है.
     
विशेष अनुमति याचिका में कहा गया कि उच्च न्यायालय की यह राय थी कि दोषी की मानसिक स्थिति का आकलन करने की जरूरत है, लेकिन ऐसा कोई आदेश नहीं था कि उसकी रिहाई से पहले अधिकारी उसकी सेहत और मानसिक स्थिति का आकलन करें.लड़की के साथ सबसे ज्यादा हैवानियत करने वाला यह नाबालिग अब 20 साल हो चुका है. उसे शनिवार को उत्तर दिल्ली स्थित सुधार गृह से किसी अज्ञात स्थान पर ले जाया गया क्योंकि ऐसी चिंताएं हैं कि उसकी जान को खतरा हो सकता है.
     
दिल्ली सरकार ने कहा कि उसने इस नाबालिग दोषी के पुनर्वास की योजना सौंप दी है.सरकार ने कहा कि योजना के तहत उसे 10,000 रूपये का वित्तीय अनुदान दिया जाएगा तथा उसके लिए सिलाई मशीन की व्यवस्था की जाएगी ताकि वह दर्जी की दुकान खोल सके.

Check Also

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को दिया एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 तक एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *