प्रदर्शनकारी किसानों ने बातचीत के लिए बुराड़ी मैदान जाने की शर्त को अस्वीकार कर दिया है। तीस किसान संगठनों की बैठक में फैसला लिया गया कि किसान बिना शर्त वार्ता करेंगे, बॉर्डर नहीं छोड़ेंगे और सरकार को किसान जिस सड़क पर डेरा जमाए हैं, वहीं वार्ता करनी होगी।
सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर जमे किसान संगठनों को इस नतीजे पर पहुंचने के लिए दिन में कई बार बैठक करनी पड़ी। बुराड़ी मैदान जाकर आंदोलन करने की अपील गृह मंत्री अमित शाह की ओर से की गई थी और इस आशय का एक पत्र किसान संगठनों को गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की ओर से भेजा भी गया था।
भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के नेता सुरजीत सिंह ने पत्रकारों से कहा कि बुराड़ी जाना जेल जाने के समान है, इसलिए किसान वहां कभी नहीं जाएंगे। उन्होंने बुराड़ी मैदान को खुली जेल बताते हुए कहा कि बातचीत के लिए शर्त रखना किसानों का अपमान है।
किसान नेता ने कहा कि आगे किसान दिल्ली में प्रवेश के पांचों रास्तों पर घेराव करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे पास चार महीने का राशन है और हम लंबा आंदोलन चला सकते हैं। किसान नेता ने यह भी कहा कि वह अपने मंच पर किसी भी राजनीतिक दल को जगह नहीं देंगे और न किसी का भाषण सुनेंगे।
उन्होंने कहा कि पंजाब में दो महीने के आंदोलन के दौरान भी किसी राजनीतिक दल को मंच पर जगह नहीं दी गई थी।वहीं, किसान नेता गुरनाम सिंह चधोनी ने कहा कि किसान बातचीत को तैयार हैं लेकिन वह इसके लिए सरकार की किसी भी शर्त को नहीं मानेंगे।
यही बात किसान यूनियन के नेता दर्शन पाल सिंह ने कही। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करने किसान बुराड़ी मैदान क्यों जाएं, उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन की जगह तो रामलीला मैदान है।उन्होंने सरकार पर बातचीत की बजाय शर्त थोपने का भी आरोप लगाया। किसान नेता कह रहे हैं कि जो किसान बुराड़ी चले गए हैं, उन्हें भी बॉर्डर पर वापस लाया जा रहा है।
आंदोलनकारी किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ विचार-विमर्श किया। अमित शाह और जेपी नड्डा हैदराबाद नगर निगम चुनाव में बिजी थे। आज दिल्ली लौटने पर किसान आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने विचार विमर्श किया।