पंजाब विधानसभा में कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए प्रस्ताव हुआ पारित

पंजाब विधानसभा में फिर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने केंद्र की ओर से पारित तीनों कृषि कानूनों को बिना शर्त वापस लेने की अपनी मांग दोहराई। इस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने देश की ओर से ऐसे कई सवाल भी पूछे, जिसमें उन्होंने कृषि कानूनों के पीछे सरकार के कथित इरादों को उजागर किया।

सिंह ने कहा कि कृषि कानून किसानों और राज्य के लिए अस्वीकार्य हैं।उन्होंने भारत सरकार से आंदोलनकारी किसानों के खिलाफ सभी मामलों और नोटिसों को वापस लेने की अपील की केंद्र द्वारा पारित नए कृषि कानूनों को निरस्त करने का आह्वान करते हुए, मुख्यमंत्री ने विधानसभा में घोषित किया कि इन कानूनों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है और सरकार को इन्हें हर हाल में वापस लेना होगा।

उन्होंने कहा कि यह न केवल वे सहकारी संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ हैं, बल्कि इनके उद्देश्य स्पष्ट रूप से प्रतिकूल हैं।कांग्रेस ने किसानों और राज्य के हित में कृषि कानूनों को बिना शर्त वापस लेने और खाद्यान्नों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) आधारित सरकारी खरीद की मौजूदा प्रणाली को जारी रखने की मांग की।

वहीं दूसरी ओर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के विधायकों को स्पीकर द्वारा अनियंत्रित व्यवहार के कारण निलंबित कर दिया गया। जब मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर बोल रहे थे, उस समय आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्यों ने वोटिंग से पहले सदन से वॉकआउट किया।

सिंह ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मूल रूप से तो इन कानूनों का उद्देश्य किसानों की आय को दोगुना करना है, लेकिन ऐसा प्रतीत नहीं होता है। सिंह ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि किसान इन कानूनों को अपनी आजीविका के लिए खतरा मानते हैं और यही वजह है कि उन्होंने इन कानूनों के खिलाफ एक आंदोलन शुरू किया और यह मांग की है कि इन्हें वापस लिया जाए।

सदन ने एक बार फिर से भारत सरकार से आग्रह किया कि वह इन कानूनों को बिना शर्त किसानों और राज्य के हितों को देखते हुए वापस लें और एमएसपी आधारित सरकारी खाद्यान्नों की खरीद की मौजूदा व्यवस्था जारी रखें। बता दें कि इससे पहले भी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने विधानसभा में कृषि कानूनों को दरकिनार करते हुए इनके खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था।

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