प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षक पर्व 2021 का उद्घाटन किया और इस दौरान उन्होंने कई पहल की शुरुआत की. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 6-7 सालों में जनभागीदारी की ताकत से भारत में ऐसे-ऐसे कार्य हुए हैं, जिनकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों को बहुत-बहुत बधाई. आप सभी ने कठिन समय में देश में शिक्षा के लिए, विद्यार्थियों के भविष्य के लिए जो एकनिष्ठ प्रयास किया है, वो अतुलनीय है, सराहनीय है.
आज शिक्षक पर्व पर अनेक नई परियोजनाओं का शुभारंभ हुआ है. ये पहल इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि देश अभी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. आज जो योजनाएं शुरु हुई हैं, वो भविष्य के भारत को आकार देने में अहम भूमिका निभाएंगी.
संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा आज विद्यांजली 2.0, निष्ठा 3.0, टॉकिंग बुक्स और यूएलडी बेस आईएसएल डिक्शनरी जैसे नए कार्यक्रम और व्यवस्थाएं लॉन्च की गई हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि यह हमारे शिक्षा व्यवस्था को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी.
पीएम मोदी ने कहा कोरोना वायरस महामारी के दौरान हम सभी ने अपने शिक्षा क्षेत्र की क्षमताओं को देखा है. बहुत सारी चुनौतियां थीं, लेकिन आपने सभी चुनौतियों को तेजी से हल किया. ऑनलाइन क्लास, ग्रुप वीडियो कॉल, ऑनलाइन एग्जाम- जैसे शब्द पहले कई लोगों ने नहीं सुने थे.
उन्होंने कहा आज एक ओर देश के पास बदलाव का वातावरण है, तो साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी आधुनिक और भविष्य की नीति भी है. इसलिए पिछले कुछ समय से देश लगातार एजुकेशन सेक्टर में एक के बाद एक नए निर्णय ले रहा है, एक बड़ा बदलाव होते देख रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा देश ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के साथ सबका प्रयास का जो संकल्प लिया है विद्यांजलि 2.0 उसके लिए एक जीवंत प्लेटफॉर्म की तरह है. उन्होंने कहा जब समाज मिलकर कुछ करता है, तो इच्छित परिणाम अवश्य मिलते हैं और आपने ये देखा है कि बीते कुछ वर्ष में जनभागीदारी अब फिर भारत का नेशनल कैरेक्टर बनता जा रहा है.
अभी हाल ही में संपन्न हुए टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक में हमारे खिलाड़ियों ने शानदान प्रदर्शन किया. मैंने अपने खिलाड़ियों से अनुरोध किया है कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर हर खिलाड़ी कम से कम 75 स्कूलों में जाएं.पीएम मोदी ने कहा आप सभी इस बात से परिचित हैं कि किसी भी देश की प्रगति के लिए एजुकेशन न केवल Inclusive होनी चाहिए, बल्कि equitable (न्यायसंगत) भी होनी चाहिए.
किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए शिक्षा का समान और समावेशी होना आवश्यक है. उसी के लिए देश शिक्षा के हिस्से के रूप में बोलने वाली किताबों और ऑडियो किताबों को शामिल कर रहा है. यूडीएल पर आधारित एक भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश विकसित किया गया है.
इसीलिए, आज देश Talking बुक्स और Audio बुक्स जैसी तकनीक को शिक्षा का हिस्सा बना रहा है.प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘निपुण भारत अभियान में तीन वर्ष से आठ वर्ष तक के बच्चों के लिए Foundational Literacy and Numeracy Mission लॉन्च किया गया है.
तीन वर्ष की उम्र से ही सभी बच्चे अनिवार्यता प्री स्कूल शिक्षा प्राप्त करें इस दिशा में जरूरी कदम उठाए जाएंगे.उन्होंने कहा तेजी से बदलते इस दौर में हमारे शिक्षकों को भी नई व्यवस्थाओं और तकनीकों के बारे में तेजी से सीखना होता है. निष्ठा ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के जरिए देश अपने टीचर्स को इन्हीं बदलावों के लिए तैयार कर रहा है.