राष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्शन कमीशन तारीखों का एलान कर रहा है। चीफ इलेक्शन कमिश्नर नसीम जैदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया मौजूदा प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी का टेन्योर 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। उससे पहले जरूरत पड़ने पर 17 जुलाई को वोटिंग होगी और 20 जुलाई को काउंटिंग होगी। राष्ट्रपति चुनाव के लिए सीक्रेट बैलेट वोटिंग होती है।
बता दें कि 5 राज्यों के असेंबली इलेक्शन के बाद प्रेसिडेंट इलेक्शन के लिए एनडीए की पोजिशन मजबूत है। एनडीए को अपनी पसंद का प्रेसिडेंट बनाने के लिए महज 20 हजार वोटों की जरूरत है। इसके लिए उसे उन गैर-एनडीए और गैर-यूपीए दलों की जरूरत है, जिन्होंने ये तय नहीं किया है कि वे किस तरफ जाएंगे। इनका वोट पर्सेंटेज करीब 13% है। यही वोट तय करेंगे कि अगला प्रेसिडेंट किसकी पसंद का होगा।
चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने कहा कि राजनीतिक दल अपने संसद सदस्यों और विधानसभा सदस्यों को राष्ट्रपति चुनाव के बारे में कोई भी व्हिप नहीं जारी कर सकते हैं। वोटों की गिनती दिल्ली में होगी। चुनाव आयोग ही प्रेसिडेंशियल इलेक्शन के विजेता का एलान करेगा।उन्होंने कहा कि राज्यसभा और विधानसभा की 13 सीटें खाली हैं। 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव का फैसला राष्ट्रपति चुनाव के बाद लिया जाएगा।
4896 वोटर राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा ले सकेंगे। इनमें 4120 MLAs और 776 MPs शामिल हैं।20 AAP के विधायकों के खिलाफ हाउस ऑफ प्रॉफिट के मामले में केस चल रहा है, लेकिन इलेक्शन कमीशन का कहना है कि आज की बात करें तो ये लोग वोट डाल सकेंगे।
12 नॉमिनेटेड राज्यसभा मेंबर्स भी वोट नहीं डाल सकेंगे। इसके अलावा लोकसभा में दो एंग्लो-इंडियन कम्युनिटी के नॉमिनेटेड मेंबर्स भी वोट नहीं डाल सकेंगे।
10 खाली सीटें हैं राज्यसभा की, जिनके लिए चुनाव की घोषणा राष्ट्रपति चुनाव के बाद ही की जाएगी।एक सांसद के वोट की वैल्यू तब पता चलेगी जब आप विधायकों के कुल वोटों को सांसदों की कुल संख्या से भाग दें। इस फॉर्मूला के तहत अभी एक MP के वोट की वैल्यू 708 है।लोकसभा, राज्यसभा, स्टेट असेंबली को मिलाकर टोटल 5,27,371 वोट होते हैं। एनडीए का टोटल वोट पर्सेंटेज 48.10 फीसदी है।
साझा कैंडिडेट उतारने की स्थिति में सभी अपोजिशन पार्टियां एक हो जाती हैं तो टोटल वोट 5,68,148 होंगे यानी करीब 51.90%। ये पसंद का प्रेसिडेंट बनाने के लिए काफी हैं।NDA की नजर AIADMK (5.36%), BJD (2.98%), TRS (1.99%), YSRCP (1.53) जैसी पार्टियों पर रहेगी। इन पार्टियों का सपोर्ट किसे जाएगा, अभी तय नहीं है। इनका टोटल वोट 13% के आसपास है। ऐसे में अगर कोई एक बड़ी पार्टी या दो पार्टियों का सपोर्ट मिल जाता है तो NDA अपनी पसंद का प्रेसिडेंट बना लेगी।
अभी तक कैंडिडेट का एलान नहीं किया गया है। मोहन भागवत का नाम इस रेस में था, लेकिन अमित शाह और खुद भागवत ने इससे इनकार कर दिया। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी पर बाबरी केस चल रहा है। लेकिन इसके बावजूद वे इलेक्शन में हिस्सा ले सकते हैं। नाम अभी तय नहीं किया गया है। अपोजिशन लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि प्रेसिडेंट इलेक्शन के लिए साझा कैंडिडेट उतारा जाए। कहा जा रहा है कि बंगाल के पूर्व गवर्नर गोपालकृष्ण गांधी यूपीए के कैंडिडेट हो सकते हैं।
भारत के राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य मिलकर चुनते हैं। सभी सांसदों और विधायकों के पास निश्चित संख्या में वोट हैं। हालांकि, हर निर्वाचित विधायक और सांसद के वोटों का मूल्य अलग-अलग होता है।आम आदमी पार्टी, बीजू जनता दल, भारतीय राष्ट्रीय लोकदल, वाईएसआर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और एआईएडीएमके ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इनका वोट प्रतिशत भी करीब 13 फीसदी है। यानी करीब 1.70 लाख वोट।