73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया देश को संबोधित

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कहना है कि कोरोना वायरस लगातार रूप बदल रहा है, जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था और मानव जाति असाधारण चुनौती का सामना कर रही है।उन्होंने कहा कि जिस प्रकार केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कोरोना का मुकाबला कर रही हैं, वह प्रशंसनीय है। उन्होंने लोगों से कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए पूरी सावधानी बरतने की अपील करते हुए कहा कि अभी यह संकट गया नहीं है।

महामारी में एक दूसरे की सहायता बेहद जरूरी है।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कोरोना रोधी टीका विकसित करने से लेकर इस वैश्विक महामारी का मुकाबला करने में भारत के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि अभूतपूर्व महामारी के संकट की इस घड़ी में हमने यह देखा है कि कैसे हम सभी देशवासी एक परिवार की तरह आपस में जुड़े हुए हैं।

कठिन परिस्थितियों में लंबे समय तक काम करके, यहां तक कि मरीजों की देखभाल के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर भी डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स ने मानवता की सेवा की है। उन्होंने कहा कि इन्हीं प्रयासों के बल पर हमारी अर्थव्यवस्था ने फिर से गति पकड़ ली है।उन्होंने कहा कि जनसंख्या घनत्व ऊंचा रहने के कारण महामारी का सामना करना भारत में अपेक्षाकृत अधिक कठिन होना ही था।

लेकिन ऐसे कठिन समय में ही किसी राष्ट्र की संघर्ष करने की क्षमता निखरती है। मुझे यह कहते हुए गर्व का अनुभव होता है कि हमने कोरोना-वायरस के खिलाफ असाधारण दृढ़-संकल्प और कार्य-क्षमता का प्रदर्शन किया है। हमने स्वदेशी टीके विकसित कर लिए और विश्व इतिहास में सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया। यह अभियान तेज गति से आगे बढ़ रहा है।

श्री कोविंद ने 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संबोधन में कहा कि कोविड महामारी ने देश के समक्ष एक चुनौती पेश की थी लेकिन देश ने अप्रत्याशित तरीके से इस संकट पर काबू कर लिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना टीकाकरण अभियान भी जोरों पर हैं और इस महामारी के दौरान भारत ने टीकों तथा दवाओं से विश्व के अन्य देशों की मदद की थी जिसकी सराहना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि दुर्भाग्य से इस वायरस ने नए उत्परिवर्तन के साथ वापसी की है और इसे देखते हुए लोगों को सतर्क रहना चाहिए और अपने बचाव में कोई लापरवाही नहीं बरतनी होने चाहिए।उन्होंने जोर देकर कहा कि कोविड के खिलाफ लड़ाई में, वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों द्वारा सुझाई गई सावधानियों का पालन करना अब प्रत्येक नागरिक का एक पवित्र राष्ट्रीय कर्तव्य बन गया है और हमें इस कर्तव्य का निर्वहन तब तक करना है जब तक इस संकट से पूरी तरह छुटकारा नहीं मिल जाता है ।

श्री कोविंद ने कहा कि हम में से हर कोई गांधीजी की सलाह को याद कर सकता है और सार्वभौमिक भाईचारे की इस भावना से प्रेरित होकर अपने आसपास की दुनिया को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। इससे भारत और पूरा वैश्विक समुदाय अधिक न्यायसंगत और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ेगा।राष्ट्रपति ने कोविड महामारी से निपटने में केंद्र और राज्य स्तर पर नेतृत्व में बेहतर तालमेल, नीति निर्माताओं, प्रशासकों और अन्य लोगों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था फिर से आगे बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि यह प्रतिकूल परिस्थितियों में भारत की प्रगति का प्रमाण है कि पिछले साल की कम प्रगति के बाद इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के जोरदार तरीेके से बढ़ने का अनुमान है।उन्होंने कहा कि यह पिछले साल में आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता को दर्शाता है। राष्ट्रपति ने छोटे और मध्यम उद्यमों के जरिए लोगों को रोजगार प्रदान करने और अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा हमारे अभिनव युवा उद्यमियों ने स्टार्टअप तंत्र का प्रभावी उपयोग कर सफलता के नए मानक स्थापित किए हैं।

उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त करने के लिए, सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ बेहतर वातावरण बनाया है जो पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक कौशल का सही मिश्रण बनाती है।उन्होंने यह भी कहा कि यह जानकर काफी खुशी होती है कि भारत को शीर्ष 50 नवाचारी अर्थव्यवस्थाओं में स्थान मिला है।राष्ट्रपति ने पिछले साल ओलंपिक में अपनी छाप छोड़ने वाले देश के खिलाड़ियों और उनके आत्मविश्वास का जिक्र करते हुए कहा कि वे लाखों युवाओं को प्रेरित करेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के महीनों में, उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिबद्धता और कार्यों के माध्यम से देश तथा समाज को मजबूत करने वाले लोगों के उल्लेखनीय उदाहरण देखे हैं।उन्होंने कहा, भारतीय नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड की समर्पित टीमों ने अत्याधुनिक विमानवाहक पोत आईएसी विक्रांत का निर्माण किया है और इससे दुनिया की प्रमुख नौसैनिक शक्तियों में भारतीय नौसेना में शामिल हो गई है। यह रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का एक प्रभावशाली उदाहरण है।

राष्ट्रपति ने कहा आज हमारे सैनिक और सुरक्षाकर्मी राष्ट्रीय गौरव की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं औरजब एक वीर जवान की ड्यूटी पर मौत हो जाती है तो पूरे देश को दुख होता है। पिछले महीने, एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में, देश ने सबसे बहादुर कमांडरों में से एक – जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और कई अन्य बहादुर सैनिकों को खो दिया है। इस घटना से पूरे देश को गहरा दुख हुआ है।

श्री कोविंद ने कहा कि भारत स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर एक मील का पत्थर पार करेगा और देश इस अवसर को आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। यह न केवल अगली पीढ़ी के लिए बल्कि हम सभी के लिए अपने अतीत के साथ फिर से जुड़ने का एक बड़ा अवसर है। हमारा स्वतंत्रता संग्राम हमारी शानदार गाथा में एक प्रेरक अध्याय था।

स्वतंत्रता के इस 75 वें वर्ष में, आइए हम उन मूल्यों को फिर से खोजें जिसने हमारे गौरवशाली राष्ट्रीय आंदोलन को गति प्रदान की।राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि देशवासियों ने 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाई थी, जिन्होंने जय हिंद के जोशीले अभिवादन को अपनाया था और आजादी हासिल करने की उनकी चाह और भारत को गौरवान्वित करने की उनकी महत्वाकांक्षा ने हम सभी को प्रेरित किया था।

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