मुखर्जी प्रेसीडेंसियल एस्टेट में स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद सर्वोद्य विद्यालय की 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए स्कूल में एक संयुक्त कक्षा लेंगे. छात्रों को संबोधित करने के बाद राष्ट्रपति करीब 100 शिक्षकों को संबोधित भी करेंगे.दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने राष्ट्रपति के सामने यह विचार रखा था जो राष्ट्रपति को पसंद आया और उन्होंने इसके लिए मंजूरी दे दी.
मुखर्जी ने हमेशा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने पर ध्यान दिया है और इस महीने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में उन्होंने ‘गुरू-शिष्य’ संबंध पर खास जोर दिया था.उन्होंने अपने संबोधन में कहा था, ”..जमीनी स्तर से लेकर सबसे ऊपर तक (शिक्षा की) गुणवत्ता को क्या हुआ? हम गुरू शिष्य परंपरा को सच्चे गौरव के साथ याद करते हैं, तो फिर क्यों हमने इस संबंध के मुख्य पहलूओं – देखभाल, समर्पण और प्रतिबद्धता को त्याग दिया है?”
मुखर्जी का मानना है कि शिक्षक एक कुम्हार की तरह होता है जो अपने कोमल एवं दक्ष हाथों से एक छात्र की किस्मत ढालता है और समाज को शिक्षकों की प्रतिभा एवं विद्वता को देखना चाहिए एवं मान्यता देनी चाहिए. उन्होंने कहा था, ”क्या हमारी शिक्षा प्रणाली में ऐसा हो रहा है? छात्र, शिक्षक और अधिकारियों को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए.”
दिल्ली सरकार ने अपने प्रतिष्ठित कार्यक्रम ‘बी अ टीचर’ के तहत राष्ट्रपित से इसे लेकर अनुरोध किया था. कार्यक्रम के तहत कला, संस्कृति, खेल, व्यापार, राजनीति और सिविल सेवा जैसे अलग अलग क्षेत्रों की प्रसिद्ध हस्तियां छात्रों की कक्षाएं लेते हैं और उन्हें जीवन में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित करते हैं.हालांकि ऐसा पहली होगा कि कोई राष्ट्रपति ‘शिक्षक दिवस’ के मौके पर शिक्षक की भूमिका निभाएंगे, पूर्व में मुखर्जी और दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम छात्रों से मिलते और बातचीत करते रहे हैं.