बांग्लादेशी आतंकियों के पकड़े जाने के बाद पुलिस देवंबद समेत सहारनपुर और मुजफ्फरनगर जिलों में सभी हजारों पासपोर्ट धारकों के कागजात के सत्यापन का काम शुरू करने वाली है. दरअसल इन संदिग्धों के पास देवबंद पते के भारतीय पासपोर्ट मिले हैं. नकली दस्तावेजों के इस्तेमाल से ये पासपोर्ट बनाए गए हैं. मामले की जांच में पुलिस को सूचनाएं मिली हैं कि इस क्षेत्र में कई आतंकी मॉड्यूल छिपे हो सकते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने कहा कि यह केवल देवबंद या किसी खास समुदाय के लिए नहीं किया जा रहा है. मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिलों के सभी पासपोर्ट धारकों का सत्पापन किया जाएगा. दरअसल इस तरह की खुफिया सूचनाएं मिली हैं कि कुछ ऐसे आतंकी मॉड्यूल यहां छिपे हुए हैं. इससे पहले भी ऐसे कई वाकये यहां हुए हैं जब संदिग्ध यहां पकड़े गए हैं.
पुलिस के मुताबिक जो बांग्लादेशी आतंकी अगस्त में मुजफ्फरनगर में पकड़े गए थे, उनके पासपोर्ट सहारनपुर में ही बने थे. इसके चलते इस क्षेत्र के सभी पासपोर्ट धारकों का सत्यापन हो रहा है. अगस्त में यूपी एटीएस ने बांग्लादेशी नागरिक अब्दुल्ला अल-मामून को पकड़ा था. वह प्रतिबंधित आतंकी संगठन अंसारुल्ला बांग्ला टीम (एबीटी) का सदस्य था.
वह मुजफ्फरनगर में पकड़े जाने से पहले देवबंद में कई सालों तक छिपा रहा. उसके पकड़े जाने के बाद से कई सहयोगियों को पकड़ा गया है. अब्दुल्ला मामून की गिरफ्तारी के बाद उसकी निशानदेही पर भगोड़े आतंकी फैजान अहमद के सहारनपुर ठिकानों पर छापे मारे गए. वहां पर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़ी सामग्री पाई गई. फैजान स्थानीय युवकों को आतंकी गतिविधियों में शामिल करने का काम करता है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक अब्दुल्ला की गिरफ्तारी के बाद तकरीबन 20 बांग्लादेशी पश्चिमी यूपी से लापता हो गए हैं. पुलिस को शक है कि इनके तार अब्दुल्ला और उसके आतंकी संगठन से जुड़े हैं. पुलिस को शक है कि नकली दस्तावेजों के आधार पर हो सकता है कि इनके पास भी भारतीय पासपोर्ट हों.