नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 71 दिनों से जारी है। गणतंत्र दिवस हिंसा के बाद आंदोलन कमजोर होता दिख रहा था, लेकिन अब फिर इसमें तेजी आई है। एक ओर संसद में किसानों का मुद्दा तो उठ ही रहा, दूसरी ओर विपक्षी नेताओं का एक दल किसानों से मिलने गाजीपुर बॉर्डर पहुंचा। जिनको पुलिस ने बेरिकेड के पास ही रोक दिया।
विपक्षी दल किसानों से मिलने की मांग पर अड़े हुए हैं।गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंची शिरोमण अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि हम तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हैं। साथ ही संसद में ये मुद्दा उठाना चाहते हैं, लेकिन स्पीकर ऐसा करने नहीं दे रहे हैं। इस वजह से अब 8-10 पार्टियों के नेताओं को किसानों के बीच आना पड़ा, ताकी किसानों की हालत और मांग जान सकें।
इसके बाद इसकी विस्तृत जानकारी वो सदन में देंगे। उन्होंने कहा कि जिनती सुरक्षा पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर की है, उतनी तो पाकिस्तान बॉर्डर पर भी नहीं है। वहीं दूसरी ओर पुलिस ने भी विपक्षी नेताओं को बेरिकेड्स पार नहीं करने दिया।पहले सिंघु बॉर्डर को किसान आंदोलन का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता था, लेकन गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद अब सबका ध्यान गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंच गया है।
जिस वजह से पूरे इलाके में अभेद सुरक्षा की गई है। दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर में 14 लेन बंद कर 12 लेयर के बेरिकेड्स लगाए हैं। इसके अलावा उनके ऊपर कटीले तारों का जाल भी है। वहीं किसान जबरन ट्रैक्टर लेकर दिल्ली कूच ना कर सकें इसके लिए सड़कों पर कील लगा दी गई है। अचानक से हीरो बने टिकैत आपको बता दें कि गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद कई संगठनों ने अपना हाथ आंदोलन से खींच लिया।
इस बीच आंदोलन कमजोर होता देख भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैट भावुक हो गए। जिसके बाद उन्होंने किसानों और विपक्षी दलों का जबरदस्त समर्थन मिला। अब टिकैत किसान आंदोलन का चेहरा बन चुके हैं। बैनर हो या पोस्टसर या फिर 4 लोगों का जमवाड़ा, हर जगह सिर्फ टिकैत की चर्चा हो रही है।