कर्नाटक में बीजेपी सरकार बनाने में पैदा असमंजस की स्थिति को दूर कर सकती है. बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी बीएस येदियुरप्पा दिल्ली पहुंचगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात करेंगे. इस दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और कुछ वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री भी मौजूद होंगे.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक इस बैठक में कर्नाटक में सरकार गठन की रूपरेखा तय की जाएगी.बीजेपी के प्रवक्ता शांथाराम का कहना है कि पीएम मोदी से विचार-विमर्श के बाद तय होगा कि येदियुरप्पा किस दिन शपथ ग्रहण करेंगे. मंत्रिमंडल में कितने लोगों को शामिल किया जाएगा.
शपथ ग्रहण में किन-किन लोगों बुलाया जाएगा, बहुमत के आंकड़े को कैसे जुटाया जाए आदि सभी मसलों पर पीएम मोदी से राय-मशविरा लिया जाएगा. बीजेपी की ओर से कहा गया है कि बुधवार को कही बीएस येदियुरप्पा अपनी पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों के साथ बैठक करेंगे.
इस बैठक में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, जेपी नड्डा, प्रकाश जावड़ेकर और धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद रहेंगे. इस बैठक में बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायक येदियुरप्पा को विधायक दल का नेता चुनेंगे.कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत से नौ सीटें दूर रह गई.
उधर कांग्रेस ने भगवा पार्टी को सत्ता से दूर रखने के लिये नाटकीय रूप से चुनाव बाद गठबंधन के तहत तीसरे नंबर की पार्टी जेडीएस को अपना समर्थन दे दिया.त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति सामने आने के बाद सबसे बड़े दल बीजेपी और चुनाव पश्चात बने कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद राज्य में भावी सरकार को लेकर संशय और गहरा गया है.
सारी नजरें अब राज्यपाल वजुभाई वाला पर टिक गई हैं. उन्हें फैसला करना है कि वह सरकार बनाने के लिये सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी बीजेपी को आमंत्रित करें या कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को बुलाएं. इस गठबंधन को अब तक घोषित परिणामों और रुझानों के हिसाब से 224 सदस्यीय विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल है.
जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें बताया कि वह निर्वाचन आयोग से अधिकृत नतीजे आने के बाद इस पर फैसला करेंगे.राज्य की 224 में से 222 विधानसभा सीटों पर 12 मई को मतदान हुआ था. आर आर नगर सीट पर कथित चुनावी कदाचार की वजह से चुनाव टाल दिया गया जबकि जयनगर सीट पर बीजेपी प्रत्याशी के निधन के कारण चुनाव स्थगित किया गया.
बीजेपी को 2013 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले 64 सीटों का फायदा हो रहा है. वहीं, कांग्रेस ने 78 सीटों पर जीत दर्ज की है. उसे पिछले चुनाव की तुलना में 44 सीटों का नुकसान हुआ है. हालांकि, उसे हासिल मतों का प्रतिशत भगवा पार्टी से लगभग दो फीसदी अधिक है. जेडीएस ने 37 सीटों पर जीत हासिल की है.
उसे तीन सीटों का नुकसान हुआ है. जबकि उसकी सहयोगी बसपा ने एक सीट अपनी झोली में डाली है. केपीजेपी को एक सीट मिली है जबकि एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के सिर पर जीत का सेहरा बंधा है.नतीजे लगभग साफ हो जाने के बाद दोनों पक्षों ने कोई भी समय गंवाये बिना राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया.
इस दौरान राजभवन के बाहर दोनों पक्षों के समर्थक बड़ी संख्या में मौजूद थे.दिल्ली में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक में पार्टी की जीत को अतुलनीय और अभूतपूर्व बताया. उन्होंने राज्य विधानसभा चुनाव में जमकर चुनाव प्रचार किया था.कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा हम किसी भी स्थिति के लिये तैयार हैं.
इसलिये जब थोड़ी गुंजाइश थी तो हमने हस्तक्षेप किया.’उन्होंने कहा सुबह में ऐसा लगा कि बीजेपी के पास सरकार गठन के लिये पर्याप्त संख्या बल होगा और उस आधार पर बीजेपी ने जीत का जश्न भी मनाना शुरू कर दिया. इस बीच, हमने अच्छा प्रदर्शन किया. जद-एस ने उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया.
बाद में जब जेडीएस और कांग्रेस की सीटों में इजाफा हुआ तो हमने महसूस किया कि हम सरकार बना सकते हैं.आजाद का बयान दिनभर चले रोमांचक घटनाक्रमों का सार प्रस्तुत करता है. कर्नाटक चुनाव के नतीजों को 2019 के आम चुनावों के लिये काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था. इसमें जीतने मिलने से कांग्रेस समेत विपक्षी दलों में उत्साह का संचार होता, वहीं बीजेपी की सरकार बनने से उसका मनोबल और बढ़ जाता.
कर्नाटक एकमात्र बड़ा गैर बीजेपी शासित राज्य था और यहां की हार-जीत दोनों खेमों के लिये प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई थी.रुझानों से स्थिति लगभग साफ हो जाने के बाद राष्ट्रीय राजधानी से बीजेपी और कांग्रेस के कई नेता बेंगलुरू के लिये रवाना हुए. सिद्धारमैया ने राज्यपाल वजुभाई वाला को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
उन्होंने कहा लोकतंत्र में हमें जनादेश को स्वीकार करना होगा. हमने इसे स्वीकार किया है. हमने जेडीएस को समर्थन देने का फैसला किया है. यह सर्वसम्मति से लिया गया फैसला है.कांग्रेस के तुरंत जेडीएस को सरकार बनाने के लिये समर्थन देने का ऐलान करने से दिखा कि उसने मणिपुर और गोवा के प्रकरण से सबक ले लिया है.
उन दोनों राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने के बावजूद बीजेपी की राजनैतिक चपलता की वजह से कांग्रेस सरकार बनाने में नाकाम रही.राज्यपाल से मुलाकात के बाद चुनाव पश्चात कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार एचडी कुमारस्वामी ने कहा चर्चा के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने हमारी पार्टी के अध्यक्ष को समर्थन देने का पत्र दिया.
अपनी पार्टी की तरफ से कांग्रेस नेताओं के साथ हमने राज्यपाल से कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का अवसर देने का अनुरोध किया. दो निर्दलीय विधायकों का भी हमें समर्थन है.निर्वतमान मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे ने जेडीएस के प्रदेश प्रमुख एचडी कुमारस्वामी समेत दोनों पार्टियों के नेताओं ने वाला से मुलाकात की और सरकार गठन के लिये मौका दिये जाने का अनुरोध किया.
कांग्रेस के जेडीएस को समर्थन देने की घोषणा करने के तुरंत बाद कुमारस्वामी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर सूचित किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की पेशकश को स्वीकार कर लिया है.केपीसीसी अध्यक्ष जी परमेश्वर ने कहा कि सरकार गठन से संबंधित तौर-तरीकों पर बाद में चर्चा की जाएगी.
सत्ता विरोधी लहर में कम से कम 10 मंत्रियों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. खुद निवर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धरमैया भी अपनी परंपरागत चामुंडेश्वरी सीट पर 36 हजार 42 मतों से हार गए. उन्हें जेडीएस के जीटी देवगौड़ा ने हराया. हालांकि, सिद्धरमैया उत्तरी कर्नाटक के बदामी सीट से 1696 मतों मामूली अंतर से जीतने में कामयाब रहे.उन्होंने खनन कारोबारी रेड्डी बंधुओं के करीबी सहायक बी श्रीरामुलू को हराया.
येदियुरप्पा ने शिकारीपुरा सीट से 35000 से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की. कुमारस्वामी ने चन्नापाटना और रामनगर सीट से शानदार जीत हासिल की. राज्य विधानसभा चुनाव में 72.13 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. चुनाव आयोग के अनुसार कांग्रेस को 38 फीसदी मत मिले, जबकि बीजेपी को 36.2 फीसदी मत प्राप्त हुए हैं. पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा की जेडीएस को 18.4 फीसदी वोट मिले हैं.