सुभाष चन्द्र बोस से जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने के मुद्दे पर कुछ भी कहने से बचते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि वह अगले महीने नेताजी के परिवार के लोगों से मिलेंगे। पश्चिम बंगाल सरकार ने हाल ही में सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलों को सार्वजनिक किया है।आकाशवाणी से प्रसारित अपनी ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने आज कहा कि वह मई महीने में कोलकाता गये थे और सुभाष चंद्र बोस के परिवारजन उनसे मिलने आये थे। उनके भतीजे चंद्रा बोस ने इसे आयोजित किया था। काफी देर तक सुभाष बाबू के परिवारजनों के साथ हंसी-खुशी की शाम बिताने का अवसर मिला था।
मोदी ने कहा, उस दिन ये तय किया था कि सुभाष बाबू का वृहत परिवार प्रधानमंत्री निवास-स्थान पर आए। पिछले हफ्ते मुझे इस बात की पुष्टि मिली कि सुभाष बाबू के 50 से अधिक परिवारजन प्रधानमंत्री निवास-स्थान पर आने वाले हैं। इसे अभूतपूर्ण क्षण बताते हुए उन्होंने कहा कि आप कल्पना कर सकते हैं, मेरे लिए कितनी बड़ी खुशी का पल होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, मेरे लिए खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री निवास में ऐसी मेहमाननवाजी का सौभाग्य कभी भी नहीं आया होगा, जो मुझे अक्टूबर में मिलने वाला है। सुभाष बाबू के 50 से अधिक लोग अलग-अलग देशों में रहते हैं..सब लोग खास तौर पर आ रहे हैं। मैं उनके स्वागत के लिए बहुत खुश हूं। प्रधानमंत्री ने हालांकि नेताजी से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों और फाइलों को सार्वजनिक करने के मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा जिसकी कुछ वर्गो द्वारा मांग की जा रही है। पश्चिम बंगाल सरकार ने ऐसी 64 गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक कर दिया है और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मांग की है कि केंद्र को भी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा, महापुरुषों का जीवन सदा सर्वदा हमारे लिए प्रेरणा का कारण रहता है। महापुरुष किस विचारधारा के थे, उसका मूल्यांकन करना हम लोगों का काम नहीं है। देश के लिये जीने-मरने वाले हर कोई हमारे लिये प्रेरक होते हैं। उन्होंने कहा कि इन दिनों में तो इतने सारे महापुरुषों को याद करने का अवसर आ रहा है। 25 सितम्बर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय, 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री, 11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण, 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल -कितने अनगिनत नाम हैं, मैं तो कुछ के ही नाम बोल रहा हूं क्योंकि ये देश तो बहुरत्ना वसुंधरा है।
मोदी ने कहा कि आप कोई भी तिथि निकाल लें, इतिहास के झरोखे से किसी न किसी महापुरुष का नाम मिल ही जाएगा। आने वाले दिनों में इन सभी महापुरुषों को हम याद करें, उनके जीवन का सन्देश हम घर-घर तक पहुंचायें और हम भी उनसे कुछ-न-कुछ सीखने का प्रयास करें। अपने आह्वान पर देश में बड़े पैमाने लोगों द्वारा सब्सिडी आधारित गैस सिलिंडर छोड़ने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, गरीब के घर में चूल्हा जलता है। बच्चे रोते रहते हैं, गरीब मां को क्या गैस सिलिंडर नहीं मिलना चाहिए ? मैंने सम्पन्न लोगों से प्रार्थना की थी कि क्या आप सब्सिडी नहीं छोड़ सकते।
मोदी ने कहा, मैं आज बड़े आनंद के साथ कहना चाहता हूं कि इस देश के तीस लाख परिवारों ने गैस सिलिंडर की सब्सिडी छोड़ दी है। और ये अमीर लोग नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एक टीवी कार्यक्रम पर मैंने देखा था कि एक सेवानिवृत शिक्षिका, विधवा महिला कतार में खड़ी थी सब्सिडी छोड़ने के लिए। प्रधानमंत्री ने कहा, समाज के सामान्य जन, मध्यम वर्ग, निम्न-मध्यम वर्ग जिनके लिए सब्सिडी छोड़ना मुश्किल काम है। लेकिन ऐसे लोगों ने छोड़ा है। क्या ये खामोश क्रांति नहीं है? क्या ये जन-शक्ति के दर्शन नहीं हैं?
मोदी ने खादी और हैंडलूम के कपड़े खरीदने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम सवा सौ करोड़ देशवासी अगर 5 रुपया, 10 रुपया, 50 रुपया की भी कोई हैंडलूम या खादी की चीज खरीदें तो यह पैसा गरीब बुनकरों घर में जायेगा। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में खादी की बिक्री डबल हुई है और ऐसा कोई सरकारी विज्ञापन से नहीं बल्कि जन-शक्ति के एहसास से हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों उन्हें सेना के जवानों के साथ समय बिताने का अवसर मिला। 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के 50 वर्ष पूर्ण हुए, उसके निमित्त इंडिया गेट के पास एक शौर्यांजलि प्रदर्शनी आयोजित की गई और इसे मैंने चाव से देखा। उन्होंने कहा कि यहां पूरा इतिहास जिन्दा करके रख दिया है। सौंदर्यबोध की दृष्टि से देखें तो भी उत्तम है, इतिहास की दृष्टि से देखें तो बड़ा गौरव प्रदान करने वाला है और जीवन में प्रेरणा के लिए देखें तो शायद मातृभूमि की सेवा करने के लिए इससे बड़ी कोई प्रेरणा नहीं हो सकती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात से संतोष मिला कि 2 अक्टूबर को जिस स्वच्छ भारत को लेकर के एक अभियान को चलाने की घोषणा की, उस बारे में चर्चा होती है। हमारी सरकार की आलोचना भी होती है। मुझें भी बहुत-कुछ सुनना पड़ता है, कि मोदी स्वच्छता की बड़ी बड़ी बातें करते थे, लेकिन क्या हुआ ? मोदी ने कहा, मैं इसे बुरा नहीं मानता हूं।