प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएम चंद्र बाबू नायडू को फोन किया। दोनों के बीच करीब 20 मिनट तक बातचीत हुई। लेकिन कोई समझौता नहीं हो पाया। बाद में शाम को 6 बजे तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के दो केंद्रीय मंत्री अशोक गजपति राजू और वाईएस चौधरी ने पीएम से मिलने 7 लोककल्याण मार्ग पहुंचे और अपना इस्तीफा सौंपा दिया।
इससे पहले चंद्रबाबू नायडू ने सरकार से अलग होने का फैसला किया था। चंद्रबाबू ने यह भी बताया था- मैं 29 बार दिल्ली गया, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं मिला। गठबंधन के सदस्य होने के नाते ये मेरी जिम्मेदारी बनती है कि प्रधानमंत्री को पार्टी के फैसले से अवगत कराऊं। मेरे ओएसडी ने पीएम के ओएसडी से बात की लेकिन मोदी फोनलाइन पर नहीं आए।
डीटीपी सूत्रों के हवाले से बताया कि एपी सीएम नायडू और प्रधानमंत्री के बीच बातचीत हुई। इस दौरान नायडू ने नरेंद्र मोदी को टीडीपी के केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे और सरकार से हटने की वजह बताई। फिलहाल बातचीत की पूरी डिटेल नहीं मिल पाई है।उधर, पीएम से मुलाकात के बाद टीडीपी सांसद वायएस चौधरी ने कहा- हम एनडीए हिस्सा बने रहेंगे, लेकिन सरकार में कोई भी पोजिशन नहीं लेंगे। मैं नहीं समझता कि इसमें कुछ गलत है।
आंध्रप्रदेश की दलील है कि हैदराबाद को तेलंगाना की राजधानी बनाने से रेवेन्यू का काफी नुकसान हुआ है। बदले में राज्य को मदद दी जानी थी। इसके लिए विशेष दर्जे का वादा किया गया था। अब केंद्र का दावा है कि उस वक्त विशेष राज्य के दर्जे का विचार अस्तित्व में था। 14वें वित्त आयोग के तहत यह दर्जा सिर्फ पूर्वोत्तर और तीन पहाड़ी राज्यों तक सीमित हो गया।
सूत्रों ने ‘भास्कर’ को बताया कि दरअसल, दोनों दलों के बीच तनातनी की वजह आंध्रप्रदेश के राजनीतिक समीकरण हैं। राज्य में अगले साल लोकसभा के साथ ही चुनाव होने हैं। सूत्रों के अनुसार आंध्र में बीजेपी धीरे-धीरे आधार बढ़ाने में लगी है। माना जा रहा है कि जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के साथ परोक्ष समझौता हो चुका है।
नायडू यह जानते हैं। इसीलिए उन्होंने विशेष दर्जे का मुद्दा छेड़ दिया। केंद्र इसे मंजूर करे या नामंजूर, दोनों ही सूरत में नायडू को राजनीतिक फायदा दिख रहा है। बीजेपी किसी भी तरह यह मुद्दा चुनाव तक टालना चाहती थी।सूत्रों ने बताया कि बजट सत्र के पहले चरण में टीडीपी सांसदों का हंगामा देख अमित शाह ने नायडू को जेटली से मिलने के लिए कहा था।
राज्य की तीन सदस्यीय टीम दो दिन पहले दिल्ली आई थी। जेटली ने उन्हें भी दो टूक ना कहा था। वह टीम अमित शाह से भी नहीं मिल पाई।चंद्रबाबू का दावा है कि वे 29 बार दिल्ली गए लेकिन उन्हें इसका फायदा नहीं मिला। राज्य ने निर्माण कार्यों और पोलावरम योजना पर 13054 करोड़ रु. खर्च किए लेकिन केंद्र से सिर्फ 5,349.7 करोड़ की मदद मिली।
हमने समय-समय पर पोलावरम प्रोजेक्ट पर खर्च हुए पैसे का हिसाब दिया। अभी भी केंद्र से हमें 4,932 करोड़ मिलने बाकी हैं।चंद्रबाबू ने बताया कि उन्होंने मोदी से फोन पर बात करने की कोशिश की। टीडीपी के सरकार से अलग होने के फैसले की जानकारी भिजवाई।नायडू ने कहा मेरे ओएसडी ने पीएम के ओएसडी से बात की लेकिन वे फोन लाइन पर नहीं आए।
आंध्र को विशेष दर्जा देने से अरुण जेटली के खुलेआम इनकार के बाद बीजेपी को भी नायडू के पलटवार का अंदाजा हो गया था। अमरावती में प्रेस कॉन्फ्रेंस की सूचना मिलते ही जेटली ने नायडू को फोन कर कहा कि जल्दबाजी में कोई फैसला न करें।नायडू ने कहा कि फिलहाल हम सरकार से बाहर हैं। बीजेपी-टीडीपी गठबंधन के मुद्दे पर बाद में विचार किया जाएगा।
नायडू ने ये भी कहा कि भविष्य में दोनों पार्टियों का अलायंस हो सकता है।एनडीए में बीजेपी के बाद टीडीपी सबसे बड़ी पार्टी थी। उसके लोकसभा में 16 (15 आंध्र प्रदेश, एक तेलंगाना से) और राज्यसभा में 6 सांसद थे।टीडीपी के अशोक गजपति राजू नागरिक उड्डयन और वाईएस चौधरी विज्ञान-तकनीकी राज्य मंत्री थे।एनडीए-टीडीपी गठबंधन चार साल चला। टीडीपी पहली चुनाव पूर्व सहयोगी पार्टी है जिसने मोदी सरकार छोड़ने का एलान किया।