500 और 1000 के पुराने नोट बंद करने से होगा कालेधन का सफाया

MODI-12345

बड़ी संख्या में दर्शकों ने 500 और 1000 के नोट का स्वागत किया है। लेकिन कई दर्शकों के मन में अभी भी इस बात की दुविधा है कि वो आने वाले दिनों में क्या करें और क्या ना करें? इसलिए ऐसे सभी दर्शकों की सहूलियत का ध्यान रखते हुए आज हम एक ज़रूरी विश्लेषण करेंगे। हम आपको बताएंगे कि अगले 50 दिनों में आप क्या कर सकते हैं। सबसे पहले आपके लिए आसान भाषा में ये समझना ज़रूरी है कि सरकार ने ये कदम क्यों उठाए और ऐसा करना देशहित में है या नहीं?

आपको शायद इस बात की जानकारी ना हो कि चीन, ब्रिटेन, अमेरिका और सिंगापुर जैसे 25 से ज़्यादा बड़े देश ऐसे हैं, जहां बड़ी कीमत वाले नोटों पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।चीन में 100 युआन, अमेरिका में 100 डॉलर और ब्रिटेन में 50 पाउंड से बड़ा नोट चलन में नहीं है।Transparency International नाम की संस्था के मुताबिक, भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी वजह बड़े नोटों का इस्तेमाल ही है।

 

केंद्र सरकार द्वारा अचानक 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने के फैसले से सबसे बड़ा झटका काला धन रखने वालों को लगा है।ऐसा अनुमान है, कि सरकार के इस फैसले से एक ही झटके में सिस्टम से 3 से 4 लाख करोड़ रुपए का काला धन खत्म हो गया है।Reserve Bank Of India के आंकड़ों के मुताबिक, देश में इस समय क़रीब 17 लाख करोड़ रुपए की कीमत वाले Currency Note चल रहे हैं।

इसमें से 500 रुपए के 1650 करोड़ नोट चलन में हैं यानी 8 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा। इसी तरह 1000 रुपए के 670 करोड़ नोट चलन में हैं यानी 6 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा।देश में चल रही Currency में इन दोनों तरह के नोटों की कुल हिस्सेदारी क़रीब 87 फीसदी है।इस फैसले के ऐलान के सिर्फ 4 घंटे में देश की अर्थव्यवस्था से 15 लाख करोड़ रुपए की Currency बाहर हो गई। 

इसका मतलब ये है कि अगले कुछ दिनों तक सिर्फ 13 फीसदी Currency से ही देश की अर्थव्यवस्था चलेगी। यही वजह है कि देश के लोगों को इस फैसले से बहुत असुविधा हो रही है। हालांकि ये बिलकुल वैसा ही है जैसा किसी घर की मरम्मत के दौरान होता है मरम्मत या White wash के दौरान जिस तरह घर के लोगों को असुविधा होती है। लगभग वैसी ही हालत इस वक़्त देश के लोगों की है.

काले धन को मिटाने के लिए देश के लोगों को ये परेशानी सहनी होगी लेकिन सरकार को भी ये कोशिश करनी चाहिए कि लोगों की समस्याओं को कम किया जाए फिर चाहे इसके लिए युद्धस्तर पर काम क्यों ना करना पड़े।भारत का GDP क़रीब 138 लाख करोड़ रूपये है। जिसका लगभग 11 फीसदी हिस्सा Real State Sector से आता है। और यहीं पर सबसे ज़्यादा कालेधन का इस्तेमाल होता है।

आपको पता होना चाहिए कि भारत में Real State Sector 14 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का है।इस फैसले से Money Laundring, हवाला और अवैध रूप से छिपाए गए काले धन पर रोक लगेगी।इसलिए ये फैसला भारत के लिए शुभ है। इस फैसले से भारत एक बड़ी Cashless Economy तो नहीं बनेगा लेकिन देश ने इस दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। 

हम उस दिन की कल्पना कर रहे हैं जब काले घन और दो नंबर के पैसे के लिए देश में कोई जगह नहीं होगी। लेकिन उस दिन को हकीकत बनाने के लिए अभी बहुत कुछ करना होगा।भारत में ज़्यादातर लोग Cash Transactions ही करते हैं। इसकी एक वजह है टैक्स से बचना और काला धन बनाना। एक दूसरी वजह ये भी है कि लोगों को Online transactions और कार्ड से होने वाले Transactions को लेकर डर लगता है। 

उन्हें लगता है कि Online या Card based Transaction करने से उनका पैसा असुरक्षित हो जाएगा। सरकार और सिस्टम को इस असुरक्षा की भावना का इलाज करना होगा और देश में Online या Digital Transactions को और बढ़ावा देना होगा।देश में जब आप किसी दुकानदार को कार्ड से पैसे देने के लिए कहते होंगे तो बहुत से दुकानदार इस पर लगने वाले सरचार्ज की बात कहकर आपसे 1 या 2 प्रतिशत ज़्यादा पैसे लेते होंगे।

हमें लगता है कि इस पर भी रोक लगनी चाहिए और Card के ज़रिए Payment लेने के तरीके को किसी भी तरह के टैक्स या सरचार्ज से मुक्त कर देना चाहिए।Online Transactions पर लगने वाली Convenience Fees भी माफ की जा सकती है। ऐसा करने से लोगों को Electronic तरीके से Payment करने में कोई असुविधा नहीं होगी और सारी व्यवस्था पारदर्शी हो जाएगी। ये हमारा सुझाव है जो हम सरकार और सिस्टम के सामने रख रहे हैं।

देशहित में कोई भी बड़ा फैसला चुटकियों में नहीं लिया जाता, उसके लिए पूरी प्लानिंग और तैयारी करनी पड़ती है। हालांकि, जब फैसला काले धन से जुड़ा हुआ हो तो उसे अचानक ही करना पड़ता है ताकि काला धन रखने वाले लोगों को ज़रा सा भी मौका ना मिले। जब ऐसे फैसले लिए जाते हैं तो देश की जनता को कुछ समय तक तकलीफ का सामना करना पड़ता है।

जब से सरकार ने ये फैसला लिया है, तब से देश के अलग-अलग हिस्सों से लोगों की परेशानियों की तस्वीरें सामने आ रही हैं। इसके लिए सरकार ने कुछ कदम भी उठाए हैं।देश के हर National Highway पर 11 नवंबर की रात 12 बजे तक Toll को Suspend कर दिया गया है और आपको Toll Plaza Cross करते वक्त पैसे देने की ज़रूरत नहीं है। 

आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूंगा, कि गुरुवार से बैंक और कुछ ATM’s नियमित रूप से काम करने लगेंगे। इसके अलावा गुरुवार से आप भारत के सभी Banks में 500 और 1000 रुपये के नोट को जमा कर सकते हैं और नए नोटों से उसे बदल सकते हैं।यहां आप ये भी याद रखिए कि 12 नवंबर और 13 नवंबर यानी शनिवार और रविवार को देश के सभी Banks खुले रहेंगे। 

हमारे देश में Scheduled Commercial Banks की संख्या 1 लाख 34 हज़ार है। जबकि देश में 1 लाख 54 हज़ार 882 पोस्टऑफिस हैं।आपको बता दूं, कि 500 और 1000 के पुराने नोट आप बैंक या पोस्ट ऑफिस में Identity Card जैसे आधार कार्ड, मतदाता पत्र, राशन कार्ड, पासपोर्ट या पैन कार्ड दिखाकर बदल सकेंगे।वैसे ध्यान देने वाली बात ये भी है, कि हमारे देश में 2 लाख 1 हज़ार 861 ATMs हैं।

अगर देश के ATMs, Commercial Banks और Post offices की संख्या को जोड़ दिया जाए तो ये संख्या हो जाती है करीब 5 लाख। जबकि देश की जनसंख्या है 132 करोड़।इस हिसाब से एक जगह पर करीब 2640 लोगों के नोट बदलने का दबाव होगा। ये एक Basic calculation है लेकिन इससे आप ये समझ सकते हैं कि ATMs, Banks और Post Offices में भीड़ को Manage करना कितना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए सरकार को कोई ऐसा रास्ता ढूंढना होगा, जिससे लोगों की मुश्किलें थोड़ी कम हो सकें।

अगर आप गौर से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि ये एक सोचा समझा फैसला है और सरकार ने बार बार आप सबको इसके संकेत पहले ही दे दिए थे.सबसे पहले जन धन योजना के तहत देश भर में Bank Accounts खोलने का अभियान चलाया गया।इसके बाद लोगों के बैंक अकाउंट को आधार कार्ड से लिंक करने की मुहिम चलाई गई।

इसके बाद सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न में बैंक अकाउंट, आधार कार्ड और पासपोर्ट के बारे में जानकारी देने के लिए कहा गया।इसके बाद अपने काले धन को सार्वजनिक करने की योजना चलाई गई और लोगों से कहा गया कि वो 30 सितंबर 2016 तक बिना किसी पेनल्टी के अपने काले धन के बारे में सरकार को सूचित कर सकते हैं।

लेकिन इसके बाद भी बहुत सारे लोगों को ये सब कुछ समझ में नहीं आया.. और फिर अचानक सरकार ने 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट को बंद  करके सबको चकित कर दियास्विटज़रलैंड की Financial services company, Credit Suisse (सुइस) की वर्ष 2013 की रिपोर्ट कहती है, कि भारत की कुल अर्थव्यवस्था में अनियमित अर्थव्यवस्था 90 फीसदी रोज़गार प्रदान करती है, जो देश के GDP का क़रीब 50 फीसदी है। 

देश की अनियमित अर्थव्यवस्था में Barber यानी नाई, कूड़ा-कचरा उठाने वाले लोग, सब्ज़ियां, फल और कई तरह के दूसरे सामान बेचने वाले, रिक्शा चालक, ठेला और बैलगाड़ी चलाने वाले लोग शामिल हैं।भारत की अर्थव्यवस्था 138 लाख करोड़ रूपये की है और इस रिपोर्ट के मुताबिक, इन लोगों का देश की अर्थवयवस्था में कुल योगदान क़रीब 50 फीसदी है। ऐसे में ये रकम क़रीब 69 लाख करोड़ रूपये के आस-पास होती है।

इसके अलावा शहरी इलाकों में मौजूद Street Vendors शहरी अर्थव्यवस्था के मज़बूत स्तम्भ हैं। ये बात Ministry of Housing and Urban Poverty Alleviation भी स्वीकार करती है।National Association of Street Vendors of India के मुताबिक, देश में 1 करोड़ से ज़्यादा स्ट्रीट वेंडर्स हैं, जिनका सालाना टर्नओवर क़रीब 1 लाख 82 हज़ार करोड़ रूपये है।

Check Also

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को दिया एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 तक एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *