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संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी का संबोधन आज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को संबोधित करेंगे। शनिवार को वह पहले वक्ता होंगे। चूंकि इस बार कोविड-19 महामारी की उत्पन्न परिस्थितियों में संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया जा रहा है, इसलिए यह वर्चुअली हो रहा है।

न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के कक्ष में प्रधानमंत्री का पहले से ही रिकार्ड किया गया वीडियो भाषण प्रसारित किया जाएगा। उम्मीद है कि अपने संबोधन में प्रधानमंत्री भारत की प्राथमिकताओं को रखेंगे।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र की थीम भविष्य जो हम चाहते हैं, संयुक्त राष्ट्र जिसकी हमें जरूरत है, कोविड-19 से प्रभावी बहुआयामी कदम के माध्यम से संघर्ष में हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता है।

प्रेक्षकों के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र में भारत का जोर आतंकवाद से मुकाबले पर वैश्विक कार्रवाई की मजबूती को प्रोत्साहित करने पर रहेगा। भारत प्रतिबंध समिति में उद्यमों और व्यक्तियों की लिस्टिंग और डीलिस्टिंग की प्रक्रिया में और पारदर्शिता पर जोर डालेगा।

स्थायी विकास और जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर भारत अपनी सक्रिय भागीदारी जारी रखेगा। स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के रूप में अपनी भूमिका को प्रोत्साहित करते हुए भारत कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक सहयोग में अपने योगदान को उजागर करेगा। भारत ने 150 से ज्यादा देशों को सहयोग मुहैया कराया है।

उल्‍लेखनीय है कि मौजूदा वक्‍त में हो रहे विभिन्‍न वैश्विक मंचों पर भारत आतंकवाद और सीमा पार से हो रही घुसपैठ के मुद्दे को प्रमुखता के साथ उठा रहा है। गुरुवार को सार्क देशों यानी दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी भारत ने अंतरराष्‍ट्रीय संबंधों की राह में आतंकवाद को सबसे बड़ी बाधा बताया था।

यही नहीं मानवाधिकार परिषद के 45वें सत्र को संबोधि‍त करते हुए भारत ने आतंकवाद को मानवता का सबसे बड़ा दुश्‍मन बताया।यूएनएचआरसी में शुक्रवार को भारत के प्रतिनिधि पवन बढे ने कहा कि मौजूदा लॉकडाउन का भी फायदा वहां के आतंकी संगठन उठा रहे हैं।

इसी मंच से गुलाम कश्मीर के नागरिक मुहम्मद सज्जाद राजा ने कहा कि पाकिस्तान उनके क्षेत्र के नागरिकों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार कर रहा है। यही नहीं गिलगिट-बाल्टिस्तान क्षेत्र के निर्वासित नेता अमजद अयूब मिर्जा ने कहा कि उनके गृह क्षेत्र पर पाकिस्तान के साथ अब तो चीन के कब्जे का भी खतरा मंडराने लगा है।

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